स्मिता अभी हर किसान के पास किसान क्रेडिट कार्ड और माइक्रों एटीएम पहुंचा रही हैं, जिससे किसी भी समय किसान को 10 हजार तक की राशि मिल जाती है। कुछ समय पहले दंतरेंगा धान खरीदी केंद्र में स्थानीय बाहुबलियों ने सोसायटी की जमीन पर कब्जा कर लिया था उस समय स्मिता ने अकेले ही उनसे लड़ाई की और दबंगों के कब्जे से किसानों की जमीन खाली कराई थी।
हाट बाजार में खड़े करा दिए माइक्रो एटीए मस्मिता ने बताया अभी हम लगातार किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड और माइक्रों एटीएम लगा रहे हैं, जिससे किसानों को किसी भी समय यदि रूपए की आवश्यकता पड़े तो तुरंत मिल जाता है। राजधानी रायपुर में 7 सहकारी सोसायटियों को संभाल रही वाली स्मिता कहती हंै कि किसानों के साथ काम करके जो सरोकार मिलता है उसी में असली आनंद आता है, बहुत खुशी होती है, जब हम अपने अन्नदाता को खुश देखते है।
अपने खर्चे से ही बैंक में किसानों के लिए टीवी लगवा दिया जिससे उन्हें सरकार की सारी योजनाओं की जानकारी मिल सकें। पहली बार सहकारी बैंक से महिला स्वयं सहायता समूह को एक लाख का लोन दिलवाया। सोसायटियों में अस्थाई पदो पर सारी महिलाओं की भर्ती की।
सोसायटियों में रखा अनाज खराब नहीं होने दिया प्रदेश में इस बार हुई बेमौसम बारिश में भी स्मिता ने 4 हजार किसानों के अनाज का एक भी दाना खराब नहीं होने दिया। अपनी 7 सोसायटी में रखे पूरे धान का परिवहन कराया। तीन सोसायटियों में महिलाओं के लिए टॉयलेट बनवाएं। पत्रकारिता में गोल्ड मेडलिस्ट, एमबीए, एलएलबी और 4 विषयों में पोस्ट ग्रेज्युएट स्मिता शुरू से ही सामाजिक सरोकार वाले काम करना चाहती थीं और यहीं वजह रही की स्मिता ने किसानों के बीच जाकर काम करना शुरू किया।
वो चाहती तो ब्रांच में बैठकर ही सारे काम कर सकती थी , लेकिन वो खुद किसानों के बीच पहुंचती है और उन्हें जागरूक भी करती है कि किसानों के क्रेडिट कार्ड में नॉमिनी का नाम लिखे, अपना बीमा कराए। स्मिता कहती हंै कि छत्तीसगढ़ के किसानों में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है। इसलिए खेतों में जाकर ही हम किसानों तक पहुंच सकते है।