शिला माता के ही झुकेंगे
वर्ष 1934 में मान गार्ड को 17 राजस्थान रायफल में शामिल कर दिया था। उस समय गार्ड इस शर्त के साथ सेना में शामिल हुई थी कि इसके झंडे सिर्फ शिला माता मंदिर में ही झुकेंगे। इनके झंडे को निशान भी कहा जाता है। इस झंडे को मान गार्ड की यूनिफार्म में लेकर आते है। इसी के तहत सोमवार को करीब 6.30 बजे छह जवान फोर्ट पहुंचे और हवन-यज्ञ के साथ पूजा अर्चना हुई। सूरजपोल गेट, आमेर से जवान निशान लेकर आए। शिलामाता मंदिर के पुजारी को निशान सौंप दिया। पुजारी निशान को माता के सामने ले गए, उसको झुकाने के बाद वापस जवानों को दे दिया।
डोकलाम में हैं तैनात
आमेर महल के अधीक्षक पंकज धरेंद्र ने बताया कि ये गार्ड अरुणाचल में चाइना कि बॉर्डर पर डोकलाम में तैनात है। सीमा पर विवाद होने से छह ही जवान कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। आमतौर पर जवानों की संख्या 100 के आस-पास रहती है। जो माता जी को सलामी देने आते हैं।
आमेर महल के अधीक्षक पंकज धरेंद्र ने बताया कि ये गार्ड अरुणाचल में चाइना कि बॉर्डर पर डोकलाम में तैनात है। सीमा पर विवाद होने से छह ही जवान कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। आमतौर पर जवानों की संख्या 100 के आस-पास रहती है। जो माता जी को सलामी देने आते हैं।
2012 से चल रही है परंपरा
यह परंपरा वर्ष 2012 से यह लगातार आ रही है। सुबह 6.30 बजे से 10.30 बजे तक पूजन हुआ। गार्ड मार्च करते हुए सूरजपोल से झंडा लेकर आए और शिला माता मंदिर ट्रस्ट के पुजारी को झंडा सौंप दिया। पुजारी झंडे को अंदर लेकर गए और माता जी के सामने उसे झुकाया। इसके बाद झंडा वापस गार्ड को लौटा दिया गया। इस दौरान उनका बैंड वादन और परेड भी होती रही। जिसे देखकर उपस्थित पर्यटक बेहद रोमांचित हुए।
यह परंपरा वर्ष 2012 से यह लगातार आ रही है। सुबह 6.30 बजे से 10.30 बजे तक पूजन हुआ। गार्ड मार्च करते हुए सूरजपोल से झंडा लेकर आए और शिला माता मंदिर ट्रस्ट के पुजारी को झंडा सौंप दिया। पुजारी झंडे को अंदर लेकर गए और माता जी के सामने उसे झुकाया। इसके बाद झंडा वापस गार्ड को लौटा दिया गया। इस दौरान उनका बैंड वादन और परेड भी होती रही। जिसे देखकर उपस्थित पर्यटक बेहद रोमांचित हुए।