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राजस्थान: संकट में है राज्य पशु ऊंट, अब आई हैरान करने वाली खबर, ऐसे तो कैसे बचेगा ‘रेगिस्तान का जहाज’?

locationजयपुरPublished: Oct 05, 2022 11:32:10 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

Ship of dessert Camel decreasing numbers in Rajasthan, Reports says : पशुगणना रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें सामने आया कि ऊंटों की संख्या में अप्रत्याशित कमी हुई है। इसके मुताबिक 2012 में राजस्थान में ऊंटों की संख्या 3.26 लाख थी, जो 2019 में घटकर करीब 2 लाख 12 हजार 739 पर पहुंच गई। ये कमी निरंतर जारी है।

Ship of dessert Camel decreasing numbers in Rajasthan, Reports says

राजकमल व्यास, पाली

‘रेगिस्तान के जहाज’ को राज्य पशु का दर्जा है लेकिन, प्रदेश में तो ऊंट राजस्थान पर्यटन विकास निगम के लोगो तक सिमट कर रह गया है। साल दर साल घट रहे ऊंटों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से ‘ऊंट संरक्षण और विकास नीति’ का ऐलान किए जाने के बावजूद ऊंटों की दुर्दशा बदस्तूर जारी है। सिरोही के रेस्क्यू सेंटर में देश के अलग-अलग कोने से घायलावस्था में लाए गए ऊंट इसका जीता जागता उदाहरण हैं। ये वे ऊंट हैं, जो प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बूचड़खाने भिजवाए गए थे।


अप्रत्याशित कमी

डेयरी एवं पशुपालन विभाग ने 2019 में 20वीं पशुगणना रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें सामने आया कि ऊंटों की संख्या में अप्रत्याशित कमी हुई है। इसके मुताबिक 2012 में राजस्थान में ऊंटों की संख्या 3.26 लाख थी, जो 2019 में घटकर करीब 2 लाख 12 हजार 739 पर पहुंच गई। ये कमी निरंतर जारी है। चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य ऊंट अनुसंधान केंद्र ने रिपोर्ट जारी कर ऊंटों की घटती संख्या के लिए तस्करी व वध को दोषी ठहराया था।

 

 

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राजस्थान पर्यटन विकास निगम के लोगो में सिमटा

राज्य पशु ऊंटरेगिस्तान में गुम होता जहाज

दरअसल, ऊंट शुरू से ही लोक संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। राजस्थान में प्रमुख तौर पर बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही व पाली जिलों में ऊंट बहुतायत में पाए जाते थे लेकिन, पिछले कुछ सालों से ये जहाज रेगिस्तान में कहीं गुम होने लगा है। हालांकि, 2014 में इसे राज्य पशु का दर्जा दिया गया था। इनके वध को रोकने के लिए राजस्थान ऊंट अधिनियम पारित किया गया था। हाल ही राज्य सरकार ने बजट की घोषणा में ऊंटों को बचाने के लिए नई नीति भी बनाई। इसके बावजूद संख्या नहीं बढ़ पा रही है। इसके पीछे सख्त कार्रवाई नहीं होना भी प्रमुख कारण है।


बूचड़खानों में जा रहा राज्य पशु
कर्नाटक, बिहार व यूपी से ला रहे वापसराज्य पशु ऊंट के वध पर निषेध के बावजूद इसकी तस्करी जारी है। प्रदेश के सिरोही में पीपुल फॉर एनिमल्स की ओर से पशु रेस्क्यू सेंटर संचालित किया जा रहा है, जहां देश के अलग-अलग स्थानों पर बूचड़खानों से मुक्त कराए जाने वाले ऊंटों को भिजवाया जा रहा है। वर्तमान में इस केंद्र पर 107 ऊंट हैं। इनमें से करीब 10 ऊंट घायलावस्था में हैं, जो बूचड़खानों से छुड़ाकर लाए गए। डेढ़ महीने पहले बिहार से 12 ऊंट लाए गए, जो बूचड़खाने भिजवाए थे। वहीं करीब तीन माह पहले कर्नाटक से 18 ऊंट मुक्त करवाकर भिजवाए। इसी सप्ताह उत्तर प्रदेश से 13 ऊंट यहां लाए गए।

 


● राज्य का संभवतया एकमात्र गैर सरकारी ऊंट बचाव रेस्क्यू सेंटर सिरोही में संचालित

● सादड़ी में ऊंटनी के दूध की डेयरी स्थापित।

● 100 से 150 लीटर पानी एक बार में पीने वाला ऊंट एक सप्ताह बिना पानी पीए रह सकता है।

● 65 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से रेतीले धोरों में दौड़ने में सक्षम।

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