जयपुर

आईआईएस विश्वविद्यालय की शीरोज हैं कोरोना परिवारों के साथ

कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद को आईं आईआईएस विश्वविद्यालय की छात्राएंकोविड मरीजों को दिलवा रही बेड, वेंटिलेटर,प्लाज्मा, ऑक्सीजन

जयपुरMay 15, 2021 / 11:28 pm

Rakhi Hajela

आईआईएस विश्वविद्यालय की शीरोज हैं कोरोना परिवारों के साथ



जयपुर, 14 मई।
जहां एक तरफ नर्सेज और डॉक्टर्स जैसे फ्रंटलाइन वॉरियर्स है जो अपनी जान जोखिम में डालते हुए ड्यूटी निभा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे वॉलंटियर्स भी हैं जो अपने स्तर पर एक दिन में न जाने कितने लोगों के चेहरों पर खुशी बिखेर रहे हैं और पल पल यह साबित कर रहे हैं कि मानवता अभी भी जिंदा है।
जब मुझे पता चला कि थायरॉइड और एनीमिया होने के कारण मैं ब्लड या प्लाज्मा नहीं डोनेट कर सकती और अपपे आसपास कोविड से जूझते लोगों को देखातो प्लाज्मा थैरेपी की महत्ता का पता चला। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उनलोगों को सोशल मीडिया ग्रुप तैयार किया जो मेरी ही तरह सोचते थे और लोगों की मदद करने के लिए तत्पर थे। बस फिर क्या था लोग मिलते गए और कारवां बनता गया।यह कहानी है आईआईएस डीम्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रही बीजेएमसी छठे सेमेस्टर की छात्रा ईशा जुनेजा कि जो तब से लेकर अब तक 550 वॉलंटियरों की टीम खड़ी कर चुकी हैं जो विभिन्न कारणों से कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहे लोगों की मदद कर रहे हैं।
उनका कहना है कि व्हॉट्सएप और इंस्टाग्राम पर तीन ग्रुप बनाए हैं। पहले ग्रुप में 250 से अधिक सदस्य है तो दूसरे ग्रुप में 270 से अधिकजो जयपुर व आसपास की जगहों के लिए काम कर रहे हैं। तीसरे ग्रुप में 30 कोर मेंबर हैं जो अलग अलग शहरों से हैं। प्लाज्मा, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर्स, बेड्स और दवाईयों कीजरूरत पूरा करने में मदद कर रहे हैं। ईशा के मुताबिक उनके पास रोज 30से 50 केस आते हैं। एक किस्सा साझा करते हुए ईशा बताती हैं कि उनके पास जयपुर के जाने माने बाइक डिजाइनर का केस आया था जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत थी जो कि जयपुर में सिर्फ एक ही प्राइवेट अस्पताल में मिल सकता था। लाख कोशिशों के बाद जब नाकामयाब हुए तब हमने ट्विटर पर इसे शेयर किया और सोनू सूद को पता चला और उन्होंने फौरन हॉस्पिटल में डॉक्टर से बात कर वेंटिलेटर बेड का इंतजाम करवाया।
ईशा की तरह बीसीएस की छात्रा सागरिका विश्वविद्यालय की अन्य छात्राओं के साथ मिलकर कोरोना पेशेंट्स की मदद कर रही हैं। सागरिका कहती हैं कि जब मुझे पता चला कि मेरे फ्रेंड के अंकल की हालत गंभीर है और उन्हें प्लाज्मा नहीं मिल रहा था तब मुझे अहसास हुआ कि कोरोना पेशेंट का परिवार खुद को कितना लाचार पाता है। तभी से मैंने ठान लिया कि मैं लोगों की मदद करूंगी और मैंने दो सहेलियों के साथ मिलकर एक ग्रुप तैयार किया और आज हम 14 सदस्य मिलकर लोगों की सहायता कर रहे हैं। सागरिका ने बताया कि किस तरह से उन्होंने 9 साल के बच्चे की मदद की जिसे ओ नेगेटिव प्लाज्मा की ज्जरूरत थ
बीजेएमसी की छात्रा वैभवी जरीवाला ने अपने परिवार के साथ मिलकर आसपास के कोविड पेशेंट्स के परिवारों को खाना पहुंचाने की सेवा शुरू की है। यही नहीं वो जानवरों जैसे कि कुत्तों, बंदरों आदि को भी खाना पहुंचाने का काम रही हैं। ऋद्धिमा जैन, सेजल जैन, विधि शर्मा, ईशिता झांब, आर्ची जैन, कीर्ति माथुर जैसी अनेक छात्राएं हैं जो किसी न किसी एनजीओ के साथ मिलकर कोविड पेशेंट्स की मदद कर रहीं हैं।
विश्वविद्यालय की एनसीसी केडेट दीक्षा कंवर ऐसे मुश्किल समय में गरीब परिवारों जिनकी कोरोना की वजह से नौकरी छिन गईं हैं उनमें खाना, बिस्कुट आदि वितरित कर रही हैं। आईआईएस विश्वविद्यालय की यह शीरोज भले ही गुमनाम रहकर अपना नाम बना रही हों लेकिन विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. अशोक गुप्ता सहित एक.एक व्यक्ति उनके प्रयासों की सराहना करता है।
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