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जयपुर

इस भारतीय महिला विज्ञानी की खोज बताएगी भारत में मानसून का मिजाज

इस भारतीय महिला विज्ञानी की खोज बताएगी भारत में मानसून का मिजाज
-भारतीय विज्ञानी शीतल हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्व एशिया की जलवायु पर कर रहीं शोध
-अनुमान है कि सदी के अंत तक हिंद महासागर में तापमान वृद्धि से भारत में 10 फीसदी बारिश बढ़ जाएगी
-न्यूजर्सी विवि में रिसर्च कर रही गोदाद के अनुसार, वातावरण अध्ययन के कुछ मॉडलों के निष्कर्षों के अनुरूप
-भारी बारिश जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी होगी और बाढ़ के खतरे बढ़ जाएंगे लेकिन बारिश के औसत दिनों में कमी आएगी।

जयपुरJul 28, 2019 / 05:11 pm

Mohmad Imran

अनुमान है कि सदी के अंत तक हिंद महासागर में तापमान वृद्धि से भारत में 10 फीसदी बारिश बढ़ जाएगी

इस भारतीय महिला विज्ञानी की खोज बताएगी भारत में मानसून का मिजाज

गोवा में जन्मी शीतल पाउलू गोदाद ने हिंद महासागर के इतिहास, उसके भूगर्भशास्त्र, तलछट और भारत में मानसून पर उसके असर का अध्ययन किया है। शीतल को उम्मीद है कि उनके शोध से तापमान और जल घनत्व का पानी के बहाव पर असर और प्रशांत और हिंद महासागर के बीच जल बहाव और फैलाव की बेहतर समझ विकसित होगी। इससे समुद्री सतह पर तापमान और भारतीय मानसून का बेहतर अध्ययन भी संभव हो पाएगा। शीतल बताती हैं कि भारत जैसे देश में विकास और जीविका के लिहाज से मानसून का सही अनुमान बहुत महत्वपूर्ण है।
हिंद महासागर करता है प्रभावित
गोदाद का कहना है कि हिंद महासागर में मानसून प्रणाली का दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की जलवायु परिस्थितियों पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसकी वजह से होने वाली वर्षा से दक्षिण एशिया और खासतौर पर भारत के सामाजिक-आर्थिक और कृषि विकास पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
2017 में हुई 104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में उन्हें युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने ग्रीनलैंड और उत्तरी अटलांटिक पर भी शोध किया है।
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