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सभी को स्वीकारें, स्वीकार करने से बदल जाएगी आपकी जिंदगी: शिवानंद महाराज

locationजयपुरPublished: Dec 06, 2017 07:29:41 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

शिवयोग के सिद्धगुरु डॉ. अवधूत शिवानंद ने कही। वो बुधवार को मानसरोवर के वीटी रोड पर चल रहे चार दिवसीय शिवयोग श्रीविद्या शिविर के दूसरे दिन साधकों को ..

shivanand maharaj in jaipur

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जयपुर। अगर हम सभी को स्वीकार करना शुरू कर दें तो हमारी जिंदगी बहुत आसान हो जाएगी और वो प्राप्त कर सकोगे, जो आप चाहते हो। यह बात शिवयोग के सिद्धगुरु डॉ. अवधूत शिवानंद ने कही। वो बुधवार को मानसरोवर के वीटी रोड पर चल रहे चार दिवसीय शिवयोग श्रीविद्या शिविर के दूसरे दिन साधकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में सबसे ज्यादा मुसीबतें इसलिए आती हैं, क्योंकि हम सब चीजों को नकारते रहते हैं। दंपती के झगड़े का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक पति अपनी पत्नी से इसलिए परेशान था कि उसकी पत्नी उसका कहा हुआ कोई भी काम नहीं करती है, पूछने पर वो कहती है कि मैं भूल गई। पति से जब पूछा गया कि वो आपके साथ ही एेसा करती है या सभी के साथ वो एेसा ही व्यवहार करती है। इस पर पति ने कहा कि वो है ही भुल्लकड़।
डॉ. अवधूत शिवानंद ने कहा कि जब उसे भूलने की लत है तो इसमें उसकी गलती क्या है, वो जानबूझकर तो आपको नाराज नहीं करती ना…अगर आप इस बात को स्वीकार कर लें कि वो भुल्लकड़ है तो आप दोनों के बीच कभी भी विवाद नहीं होगा। इस घटनाक्रम के अगले साल उस पति ने बताया कि अब वो दोनों सकुशल जीवन जी रहे हैं, मैंने अपनी पत्नी का इलाज भी करा लिया है और अब वो सारे काम भी करती हैं।
जजमेंटल न हों साधक
सिद्धगुरु ने लोगों को कहा कि हमारा कोई हक नहीं है कि हम किसी को जज करें, अगर कोई व्यक्ति बुरा है तो यह उसका सोल एजेंडा है। शास्त्रों के अनुसार हमें किसी के भी कर्मों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। अगर आप उसे ठीक करने के चक्कर में लग गए तो आपकी अपनी आध्यात्मिक जिंदगी कभी भी नहीं सुधर पाएगी।
जजमेंटल होकर अक्सर हम अपने परिवार में अपने बच्चों के साथ भी भेदभाव करने लगते हैं, एक बच्चे को तो बहुत प्यार करते हैं और दूसरे बच्चे से बात भी नहीं करते। हमें एेसा नहीं करना चाहिए, एेसा करने से दूसरे बच्चे का विकास वहीं थम जाता है और उसमें सकारात्मक परिवर्तन होने की बजाय वो फूल की तरह मुरझाने लगता है। शिवयोग का सिद्धांत कहता है कि हमें सभी से एक सा व्यवहार और प्यार करना चाहिए, अगर हम एेसा करने लगेंगे तो हमारा आध्यात्मिक जीवन तेजी से बढ़ता है औऱ उस व्यक्ति पर शिव-शिवा की भी असीम कृपा होती है।
दूसरे दिन मिली अद्वैत श्रीविद्या की दीक्षा
डॉ. अवधूत शिवानंद ने शिविर के दूसरे दिन साधकों को अद्वैत श्रीविद्या की दीक्षा दी। उन्होंने मंत्र दीक्षा देते हुए एक घंटे तक साधकों को अद्वैत श्रीविद्या की साधना भी करवाई।
इस साधना के बारे में उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म और सनातन धर्म में अद्वैत श्रीविद्या सबसे उच्च की साधना है। अगर साधक मां ललितात्रिपुरसुंदरी की यह साधना शिवयोग के सिद्धांत के अनुसार करे तो उसे वो सबकुछ मिलने लगेगा, जो वो चाहता है। इस शिविर में शिवयोग शाम्भवी से भी ज्यादा 4500 लोग शिरक्त कर रहे हैं।
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