शिविर के दौरान अवधूत ने लोगों को कुण्डलिनी की व्याख्या करते हुए बताया कि स्त्री हो पुरुष हम सभी के शरीर में एक शिवलिंग विद्यमान है, जिसे स्वयंभू शिवलिंग भी कहते हैं। इस शिवलिंग पर साढ़े तीन कुण्डली मारे एक सर्प भी विराजमान है। उन्होंने बताया कि मां के स्वरूप में यह स्वयंभू शिवलिंग हमेशा सुप्त अवस्था में रहता है।
अगर हमें अपने आध्यात्मिक जीवन को उच्च स्थान तक ले जाना है या फिर आत्म साक्षात्कार करना है तो हमें अपनी कुण्डलिनी को जागृत करना पड़ेगा। जब सुशुष्मना मार्ग से सातों चक्रों का छेदन करते हुए कुण्डलिनी
शक्ति सहस्त्र चक्र से बाहर निकलती है तो इंसान के सभी पुराने व बुरे कर्म उसमें झुलस जाते हैं और तब ही आत्म साक्षात्कार होता है।
स्वास्थ्य व गोपालन मंत्री ने शिवयोग को सराहा
चार दिवसीय श्रीविद्या शिविर के तीसरे दिन राजस्थान के तीन बड़े नेताओं ने शिविर में शिरक्त की। पहले सत्र के अंत में राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री
कालीचरण सर्राफ ने शिरक्त की। उन्होंने अवधूत शिवानंद का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया और उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया, साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में सिद्धगुरु के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आप जो काम कर रहे हैं, उससे सम्पूर्ण मानव जाति का विकास हो रहा है। दूसरे सत्र में राजस्थान के गोपालन व सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने हिस्सा लिया और अवधूत को फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया। गोपालन मंत्री ने सिद्धगुरु की तारीफ करते हुए कहा कि आप कृषि और गोपालन के क्षेत्र में जो काम कर रहे हैं, उससे राजस्थान ही नहीं देश का हरेक किसान खुशहाल व संपन्न हो जाएगा।
आप शिक्षा व दीक्षा देकर लोगों को बेहतरीन बना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका पूरा परिवार आपके सभी शिविर में शामिल होते हैं और
मंत्र दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। किलक ने शायराना अंदाज में अवधूत शिवानंद का धन्यवाद किया। राज्य सरकार के दो बड़े नेताओं के अलावा लालसोट विधायक किरोड़ीलाल मीना ने भी पूरे दिन शिविर में साधना की व मंत्र दीक्षा प्राप्त की।