कैग ने मार्च में दी अपनी रिपोर्ट में द्रव्यवती नदी को प्रदूषित करने के लिए सांगानेर की कपड़ा रंगार्इ-छपार्इ आैद्योगिक इकाइयों को जिम्मेदार माना था। इस रिपोर्ट में बताया था कि इन इकाइयों से प्रदूषित जल खुली भूमि आैर द्रव्यवती नदी में जाता है। इस सांगानेर कपड़ा रंगार्इ छपार्इ एसोसिएशन ने अगस्त 2015 में उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि एक साल की अवधि में संयुक्त उच्छिष्ट उपचार संयंत्रों (सीर्इटीपीज) तथा प्रत्येक इकार्इ के लिए व्यक्तिगत उच्छिष्ट उपचार संयंत्र (र्इटीपी) स्थापित कर लिया जाएगा। वहीं राज्य सरकार ने नवंबर 2016 में कैग को जवाब भेजा कि सभी 776 सदस्यीय इकाइयों ने र्इटीपीज स्थापित कर लिए हैं आैर सांगानेर में सीर्इटीपी स्थापित करने के लिए कार्यादेश जारी कर दिया है। कैग ने इस जवाब को सही नहीं माना आैर तथ्यों के विपरीत बताया। कैग ने कहा कि 776 में से सिर्फ 296 र्इटीपीज ही चालू हालत में थे।
03 लाख लोगों केा मिल रहा है प्रत्यक्ष रोजगार
02 हजार करोड़ का सालाना कारोबार है यहां से
800 करोड़ का माल हर साल एक्सपोर्ट 120 करोड़ से बन रहा है सीर्इपीटी
केन्द्र व राज्य सरकार सांगानेर में सीर्इटीपी का निर्माण करवा रही है। इस पर करीब 120 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें से 80 करोड़ केन्द्र तथा 40 करोड़ रुपए राज्य सरकार उपलब्ध करवा रही है।
– देवी शंकर खत्री, अध्यक्ष सांगानेर कपड़ा रंगार्इ एसोसिएशन।