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राजस्थान हार्इकोर्ट का आदेश, सांगानेर में बिना NOC वाली फैक्ट्रियों को करो बंद

locationजयपुरPublished: Aug 04, 2017 07:53:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

हार्इकोर्ट ने सांगानेर क्षेत्र में एनआेसी लिए बिना आैर कानून की अनदेखी कर चल रही फैक्ट्रियों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए हैं।

जयपुर। राजस्थान हार्इकोर्ट ने सांगानेर क्षेत्र में राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की एनआेसी लिए बिना आैर कानून की अनदेखी कर चल रही फैक्ट्रियों को तत्काल प्रभाव से बंद कर परिसर सील करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने जयपुर विद्युत वितरण निगम से यह भी कहा कि एेसी फैक्ट्रियों के बिजली कनेक्शन काट दिए जाएं। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांद्रजोग आैर न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने मुकेश मीणा व तीन अन्य की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष की आेर से अधिवक्ता अनिल मेहता ने कोर्ट को बताया कि सांगानेर क्षेत्र स्थित मुहाना रोड पर फैक्ट्रियों का जहरीला आैर प्रदूषित जल छोड़ा जा रहा है आैर इनमें प्लास्टिक को जलाया जाता है। इस प्रदूषित जल को बिना ट्रीटमेंट किए छोड़ा जा रहा है। इससे भूजल प्रदूषित हो रहा है।
प्रार्थीपक्ष ने यह भी कहा कि विजय सिंह पूनियां की जनहित याचिका पर हार्इकोर्ट 7 मार्च 2003 को सरकार आैर रीको को फैक्ट्रियों के लिए सभी किस्म की सुविधायुक्त अलग से एरिया विकसित करने के आदेश दिए थे। साथ ही, यह भी कहा था कि कानून की अवहेलना पर चलार्इ जा रही फैक्ट्रियों को अनुमति नहीं दी जाए आैर दूषित जल बाहर आने से रोकने के लिए प्लांट लगवाया जाए। इसके बाद 2009 में सुप्रीम कोर्ट भी कानून की अवहेलना कर चलार्इ जा रही फैक्ट्रियों को अनुमति नहीं देने का निर्देश दे चुका है।
द्रव्यवती नदी प्रदूषित
कैग ने मार्च में दी अपनी रिपोर्ट में द्रव्यवती नदी को प्रदूषित करने के लिए सांगानेर की कपड़ा रंगार्इ-छपार्इ आैद्योगिक इकाइयों को जिम्मेदार माना था। इस रिपोर्ट में बताया था कि इन इकाइयों से प्रदूषित जल खुली भूमि आैर द्रव्यवती नदी में जाता है। इस सांगानेर कपड़ा रंगार्इ छपार्इ एसोसिएशन ने अगस्त 2015 में उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि एक साल की अवधि में संयुक्त उच्छिष्ट उपचार संयंत्रों (सीर्इटीपीज) तथा प्रत्येक इकार्इ के लिए व्यक्तिगत उच्छिष्ट उपचार संयंत्र (र्इटीपी) स्थापित कर लिया जाएगा। वहीं राज्य सरकार ने नवंबर 2016 में कैग को जवाब भेजा कि सभी 776 सदस्यीय इकाइयों ने र्इटीपीज स्थापित कर लिए हैं आैर सांगानेर में सीर्इटीपी स्थापित करने के लिए कार्यादेश जारी कर दिया है। कैग ने इस जवाब को सही नहीं माना आैर तथ्यों के विपरीत बताया। कैग ने कहा कि 776 में से सिर्फ 296 र्इटीपीज ही चालू हालत में थे।
893 इकाइयां सांगानेर में 12.3 मिलियन लीटर प्रदूषित जल
03 लाख लोगों केा मिल रहा है प्रत्यक्ष रोजगार
02 हजार करोड़ का सालाना कारोबार है यहां से
800 करोड़ का माल हर साल एक्सपोर्ट

120 करोड़ से बन रहा है सीर्इपीटी
केन्द्र व राज्य सरकार सांगानेर में सीर्इटीपी का निर्माण करवा रही है। इस पर करीब 120 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें से 80 करोड़ केन्द्र तथा 40 करोड़ रुपए राज्य सरकार उपलब्ध करवा रही है।
हार्इकोर्ट ने 24 माह में सीर्इटीपी बनाने को कहा था। 789 इकाइयों में र्इटीपीज लग चुकी है। निर्णय में हमें पक्षकार नहीं बनाया। इसके रिव्यू के लिए याचिका दायर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में भूमि उपयोग परिवर्तन को रीको, जेडीए को निर्देश दिए, लेकिन सरकार का ध्यान नहीं है।
– देवी शंकर खत्री, अध्यक्ष सांगानेर कपड़ा रंगार्इ एसोसिएशन।
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