दूर से देखने पर साइलेंट पीपल इंस्टालेशन लोगों की एक भीड़ जैसा दिखता है। जैसे ही आप करीब जूम करते हैं आपको अहसास होता है कि यह मानव कपड़ों और घासफूस से बने सिर है, जिन्हें लकड़ी पर टिकाया गया है। यह जानते हुए भी कि यह एक आर्ट इंस्टालेशन है, हजारों ऐसे पुतलों का होना असहज लगता है।
फिनलैंड के देहात क्षेत्र में, सुमोसालमी के बाहर, राजमार्ग 5 पर स्थित यह इंस्टालेश कलाकार रीजो कोलो ने तैयार किया था, जिस पर लोगों का ध्यान अपेक्षाकृत अब गया है। लोग सोशल मीडिया पर इसे जम कर पोस्ट कर रहे हैं।
यह 1988 का इंस्टालेशन है, साइलेंट पीपल या फिनिश में ‘हिलजेनन कंसा’, मूल रूप से हेलसिंकी के पड़ोस, लसीला में एक मैदान में स्थित था। फिर इसे हेलसिंकी के सीनेट स्क्वायर के मार्केट प्लेस में स्थानांतरित कर दिया गया, फिर जलोनूमा नदी के तट पर, ओम्नसैअरी, और अंत में 1994 में सुमोसालमी के बाहर इस खाली क्षेत्र में आ गया।
दिलचस्प बात यह है कि, सुमोसालमी यूथ वर्कशॉप ने द साइलेंट पीपल को बनाए रखा है, वर्ष में दो बार लकड़ी के आकृतियों के कपड़े बदलें जाते हैं। दान के माध्यम से एकत्र किए गए कपड़ों का उपयोग होता है। यदि आप इस बारे में उत्सुक हैं कि रिजो कोलो ने प्रतीकात्मक रूप से इस इंस्टालेशन से क्या संदेश देना चाहा था तो आप अपना सिर खुजलाते रह सकते हैं, क्योंकि 67 वर्षीय कलाकार इस सवाल का उत्तर प्रकट करने के लिए तैयार नहीं है। लोग दशकों से इसा इंस्टालेशन के अर्थ के बारे में अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक जो भी पता चला है, वह कयास ही है। सबसे लोकप्रिय कयास है कि यह फिनलैंड और सोवियत रूस के बीच 1939-1940 के शीतकालीन युद्ध के दौरान हुई एक भीषण लड़ाई के दौरान मिसिंग या खोए हुए लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।