सिलिकोसिस पीडि़तों ने बताया कि उन्हें सिलिकोसिस प्रमाण पत्र जारी हो रखे हैं, इसके बावजूद उन्हें आए दिन जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। श्रम विभाग के बुलावे पर सर्दी में बुधवार को जांच कराने नागौर पहुंचे श्रमिकों ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर बताया कि वे मजदूर श्रेणी के सिलिकोसिस बीमारी से पीडि़त हैं। गंभीर बीमारी से जकड़े होने के कारण ही सरकार द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाती है। मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र बनने के बाद उनहोंने सम्बन्धित विभाग से सहायता लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। उन्होंने बताया कि हम सभी को श्रम विभाग ने पहले सूचना देकर 13 जनवरी को बुलाया तथा बाद में फोन करके 15 जनवरी को आने के लिए कहा। बुधवार को जब 40 श्रमिक यहां पहुंचे तो अधिकारी ने कहा कि आज कुछ नहीं होगा। पीडि़तों ने आरोप लगाया कि विभाग द्वारा उनके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं किया जा रहा है और न ही संतोषजनक जवाब दिया जा रहा है। बार-बार चक्कर काटने के बावजूद सिलिकोसिस पीडि़तों को दी जाने वाली सहायता राशि भी नहीं दी जा रही है। उनका कहना था अधिकारियों ने विभाग को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। हमारे पास पैसे ही होते तो उपचार करवा लेते, यहां क्यों चक्कर काटते, कोई सुनने वाला नहीं है।
आपको बता दे प्रदेश में हर साल सिलिकोसिस से कई लोगों की जान चली जाती है । कई मामाले में देखा गया था मरीजों के पास पैसा नहीं होने के कारण वो इलाज नहीं करवा पाते थे हालांकी राज्य सरकार ने सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की थी लेकिन अब अधिकारियों की मनमर्जी के चलते इन मरीजों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे है