तीन दिन पहले जयपुर में भिड़े टैंकर-ट्रोला राजधानी में तीन दिन पहले टैंकर-ट्रोला हादसे की प्राथमिक जांच में भी यह सामने आया है कि केमिकल से भरे टैंकर को एक ही चालक चलाकर ला रहा था। उसके साथ न दूसरा चालक था और न ही खलासी। जयपुर आरटीओ ने हादसे की जांच के लिए दो परिवहन निरीक्षकों राजेश चौधरी और रजत माथुर की एक जांच कमेटी गठित की थी। प्राथमिक जांच के अनुसार टैंकर पहली लेन में चल रहा था। अचानक वह दूसरी लेन में खड़े ट्रोले से जा टकराया और आग लग गई। हादसे में टैंकर ड्राइवर जिंदा जल गया था।
यह किया संशोधनपहले नियम के अनुसार पांच सौ किलोमीटर से अधिक लंबे रूट पर व्यावसायिक वाहनों में दो ड्राइवर होना अनिवार्य था। राष्ट्रीय परमिट भी इसी शर्त पर दिया जाता था। जांच में किसी वाहन में एक ड्राइवर मिलने पर परमिट उल्लंघन का जुर्माना वसूला जाता था। साल 2019 में संशोधन किया गया और इस अनिवार्यता को हटा दिया गया। अब कोई भी व्यावसायिक वाहन सिंगल ड्राइवर ले जा सकता है। हालांकि, पांच घंटे तक वाहन चलाने के बाद आधा घंटे आराम करे।
अब यह जरूरी व्यावसायिक वाहन के ड्राइवर के लिए ट्रेनिंग जरूरी कर दी गई है। पहली, फ्रेशर ट्रेनिंग। यह नया लाइसेंस बनाने से पहले लेना जरूरी है। दूसरी, रिफ्रेशर ट्रेनिंग। पांच साल पर लाइसेंस के नवीनीकरण पर रिफ्रेशर ट्रेनिंग लेना जरूरी है। राजस्थान ने रिफ्रेशर ट्रेनिंग को अपना भी लिया है। लेकिन, प्रशिक्षण केंद्रों के अभाव में फिलहाल ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है।
दो ड्राइवर होना अनिवार्यपांच सौ किमी से लंबा रूट हो तो दो ड्राइवर होने चाहिए। यह जिम्मेदारी वाहन स्वामी और ट्रांसपोर्टर की है। वे अपने ड्राइवर व अन्य लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखें। अधिकांश दुर्घटनाएं निद्रा के अभाव में होती हैं। इसीलिए दो ड्राइवर होने ही चाहिए।
- वीरेंद्र राठौड़, एआरटीओ, परिवहन विभाग