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जयपुर

कैसे की जाए सिंगल पेरेंटिंग

पेरेंटिंग कोई आसान काम नहीं है। पेरेंट्स के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं होता बच्चों की परवरिश करना, उनमें सही जीवन मूल्यों को स्थापित करना। लेकिन यह पेरेंटिंग अधिक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण तब हो जाती है जब इसे अंजाम देता है कोई एक चाहे वह मां हो या फिर पिता। जाने कैसे हो सिंगल पेरेंटिंग।

जयपुरFeb 19, 2020 / 02:19 pm

Chand Sheikh

कैसे की जाए सिंगल पेरेंटिंग

कैसे की जाए सिंगल पेरेंटिंग

सही रूटीन
बच्चे की अकेले ही परवरिश करना कम चुनौतीपूर्ण नहीं होता। इसके लिए पेरेंट्स को कुछ प्लानिंग की जरूरत होती है। इसके लिए जरूरी है मां या पिता का रूटीन निश्चित हो। रूटीन सही होने पर बच्चे और आपके खानपान से लेकर सोने जागने जैसी हर चीज का नियम सही बना रहेगा। सही समय पर आराम और खानपान से दोनों हेल्दी रहेंगे और इससे बच्चे की परवरिश से जुड़ी हुई ज्यादातर परेशानियों से आप प्रभावी तरीके से निपट पाएंगे। अगर आपने बच्चे को समय पर काम करना नहीं सिखाया तो उसके बिगड़े रूटीन की वजह से आपके लिए भी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
अनुशासित
बच्चों के जीवन में अनुशासन जरूरी होता है। उन्हें शुरू से अनुशासित बनाएं। कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देने लगते हैं और उनके ना समझने पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हें मारते भी हैं। यह तरीका भी गलत है। सिंगल पेरेंटिंग में बच्चे मां या पिता के साथ रहते हुए उन पर इमोशनली काफी ज्यादा निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में कभी साथ में ज्यादा वक्त बिताने या घूमने की जिद करते हैं। आपके लिए समय निकालना मुश्किल है तो आपको बच्चे को बहुत प्यार से समझाने की जरूरत है। बच्चे के लिए अतिभावुक होने के बजाय चीजों में बैलेंस बनाए रखें।
सकारात्मक सोच
सिंगल पेरेंटिंग में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थितियों में कभी डिप्रेशन या स्ट्रेस में आना बहुत स्वाभाविक है। ऐसे में कोशिश करें कि तनाव आप पर हावी न हो। इस बात को लेकर भी मन पर बोझ ना रखें कि परवरिश में आपसे कहीं कोई कमी ना रह जाए। हरदम सकारात्मक सोच बनाए रखें। तनाव बढ़े तो दोस्तों और घर-परिवार के साथ हल्के-फुल्के पल बिताना काफी अच्छा रहता है। इससे आप मेंटली रिलैक्स हो जाते हैं और चुनौतियों का सामना कर पाते हैं।
अपनी उपेक्षा नहीं
माता-पिता अक्सर बच्चे की जिम्मेदारियां पूरी करने और घर के कामों में लगे रहने से अपना खयाल रखने के लिए समय नहीं निकाल पाते। इसी आदत के कारण वे अपनी उपेक्षा करने लगते हैं। ऐसे में बीमारी, चिड़चिड़ापन और तनाव उन पर हावी होने लगता है। इसलिए बच्चे का ध्यान रखते हुए अपनी सेहत को लेकर लापरवाही ना बरतें। आपका स्वस्थ रहना बच्चे और आप दोनों के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए खुद की उपेक्षा नहीं करें और अपनी सेहत से कोई समझाौता नहीं करें।
संपर्क में रहें
कई बार सिंगल पेरेंट समस्याओं से अकेले जूझते-जूझते परेशान हो जाते हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अपनी जान-पहचान में दूसरे सिंगल पेरेंट्स से भी संपर्क में रहना अच्छा रहता है। हो सकता है कि आप जिन मामलों से परेशान हों, उन पर दूसरे सिंगल पेरेंट की राय आपकी समस्या का समाधान कर सके। ऐसे में सिंगल पेरेंट एक-दूसरे से सीख लेते हुए बच्चे की परवरिश बेहतर तरीके से कर सकते हैं और अकेलेपन से भी बाहर निकल सकते हैं।
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