बच्चों के जीवन में अनुशासन जरूरी होता है। उन्हें शुरू से अनुशासित बनाएं। कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देने लगते हैं और उनके ना समझने पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हें मारते भी हैं। यह तरीका भी गलत है। सिंगल पेरेंटिंग में बच्चे मां या पिता के साथ रहते हुए उन पर इमोशनली काफी ज्यादा निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में कभी साथ में ज्यादा वक्त बिताने या घूमने की जिद करते हैं। आपके लिए समय निकालना मुश्किल है तो आपको बच्चे को बहुत प्यार से समझाने की जरूरत है। बच्चे के लिए अतिभावुक होने के बजाय चीजों में बैलेंस बनाए रखें।
सिंगल पेरेंटिंग में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थितियों में कभी डिप्रेशन या स्ट्रेस में आना बहुत स्वाभाविक है। ऐसे में कोशिश करें कि तनाव आप पर हावी न हो। इस बात को लेकर भी मन पर बोझ ना रखें कि परवरिश में आपसे कहीं कोई कमी ना रह जाए। हरदम सकारात्मक सोच बनाए रखें। तनाव बढ़े तो दोस्तों और घर-परिवार के साथ हल्के-फुल्के पल बिताना काफी अच्छा रहता है। इससे आप मेंटली रिलैक्स हो जाते हैं और चुनौतियों का सामना कर पाते हैं।
माता-पिता अक्सर बच्चे की जिम्मेदारियां पूरी करने और घर के कामों में लगे रहने से अपना खयाल रखने के लिए समय नहीं निकाल पाते। इसी आदत के कारण वे अपनी उपेक्षा करने लगते हैं। ऐसे में बीमारी, चिड़चिड़ापन और तनाव उन पर हावी होने लगता है। इसलिए बच्चे का ध्यान रखते हुए अपनी सेहत को लेकर लापरवाही ना बरतें। आपका स्वस्थ रहना बच्चे और आप दोनों के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए खुद की उपेक्षा नहीं करें और अपनी सेहत से कोई समझाौता नहीं करें।
कई बार सिंगल पेरेंट समस्याओं से अकेले जूझते-जूझते परेशान हो जाते हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अपनी जान-पहचान में दूसरे सिंगल पेरेंट्स से भी संपर्क में रहना अच्छा रहता है। हो सकता है कि आप जिन मामलों से परेशान हों, उन पर दूसरे सिंगल पेरेंट की राय आपकी समस्या का समाधान कर सके। ऐसे में सिंगल पेरेंट एक-दूसरे से सीख लेते हुए बच्चे की परवरिश बेहतर तरीके से कर सकते हैं और अकेलेपन से भी बाहर निकल सकते हैं।