प्लास्टिक का गणित
11 किग्रा औसतन प्रति भारतीय सालाना खपत है
28 किग्रा औसतन प्रति व्यक्ति वैश्विक खपत है
26 हजार टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है देश में
3.5 लाख करोड़ रुपए का है भारतीय प्लास्टिक उद्योग
50 हजार से ज्यादा प्लास्टिक इकाईयां हैं देश में
22 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उपयोग होता है देश में
40 फीसदी प्लास्टिक कचरे का संग्रहण ही नहीं होता
1.5 लाख करोड़ चाहिए प्लास्टिक वेस्ट रीसाइकिलिंग के लिए
पेपर-कार्ड बोर्ड: पेड़ों की कटाई
कांच: कार्बन उत्सर्जन
खाद्य सामग्री की पैकिंग कैसे होगी
दूध की थैलियां एसयूपी में आती हैं इनमें मात्र 15-20 फीसदी थैलियों की ही रिसाइकिलिंग होती है। एसयूपी पैकिंग में आने वाले अन्य खाद्यों को कचरे में बीनते भी नहीं हैं।
एसयूपी का मतलब सीधा है कि इसका पुन: इस्तेमाल नहीं हो सकता लेकिन मिनरल वॉटर बॉटल्स जैसे उत्पादों का लंबे समय तक प्रयोग करने की परिपाटी। 50 माइक्रॉन से ज्यादा के कैरीबैग्स बनाने से भी समस्या का हल नहीं होगा।
09 मिलियन टन एसयूपी हर वर्ष समुद्र के हवाले
14 देशों में एसयूपी पर बैन
(यूके, ताइवान, न्यूजीलैंड, केन्या, जिम्बाब्वे, कनाडा, फ्रांस, मोरक्को, रवांडा, एंटीगा-बरबूडा, अमरीका, बांग्लादेश, द.कोरिया, चीन)