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सिंगल यूज प्लास्टिक: 2 अक्टूबर गई, दिवाली की दस्तक, नियम अब तक स्पष्ट नहीं

locationजयपुरPublished: Oct 20, 2019 06:11:16 pm

Submitted by:

anoop singh

2022 तक पूरी तरह से खत्म हो जाएगा इस्तेमाल
 

सिंगल यूज प्लास्टिक: 2 अक्टूबर गई, दिवाली की दस्तक, नियम अब तक स्पष्ट नहीं

सिंगल यूज प्लास्टिक: 2 अक्टूबर गई, दिवाली की दस्तक, नियम अब तक स्पष्ट नहीं


नई दिल्ली.
सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) यानी वो कैरीबैग जो अभी आम भारतीय की जीवनशैली बन गया है। वे ऑव लाइफ है, इसमें पर्यावरण से जुड़े खतरे भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) से देश में एसयूपी के इस्तेमाल पर कैंची चलाने का आह्वान किया था। सरकार की ओर से राज्यों को एडवाइजरी भी जारी की गई है। लक्ष्य है 2022 तक एसयूपी को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा। सरकारी स्तर और एनजीओ ने 2 अक्टूबर को जोरशोर से कार्यक्रम भी चलाए थे। लेकिन एसयूपी बाजार से पूरी तरह गायब नहीं हुआ। अब दिवरली दस्तक देने वाली है लेकिन सरकार की ओर से अब तब सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में कोई स्पष्ट नियम जारी नहीं किए गए हैं। देश भर में इस इंडस्ट्री से लगभग साढ़े 4 लाख लोग प्रत्यक्ष रोजगार से जुड़े हुए हैं।
कई राज्यों में बैन, लेकिन…

राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, उत्तराखंड, तमिलनाडु सहित 18 राज्यों में बैन।


प्लास्टिक का गणित
11 किग्रा औसतन प्रति भारतीय सालाना खपत है
28 किग्रा औसतन प्रति व्यक्ति वैश्विक खपत है
26 हजार टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है देश में
3.5 लाख करोड़ रुपए का है भारतीय प्लास्टिक उद्योग
50 हजार से ज्यादा प्लास्टिक इकाईयां हैं देश में
22 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उपयोग होता है देश में
40 फीसदी प्लास्टिक कचरे का संग्रहण ही नहीं होता
1.5 लाख करोड़ चाहिए प्लास्टिक वेस्ट रीसाइकिलिंग के लिए
विकल्प और असर
पेपर-कार्ड बोर्ड: पेड़ों की कटाई
कांच: कार्बन उत्सर्जन
खाद्य सामग्री की पैकिंग कैसे होगी
दूध की थैलियां एसयूपी में आती हैं इनमें मात्र 15-20 फीसदी थैलियों की ही रिसाइकिलिंग होती है। एसयूपी पैकिंग में आने वाले अन्य खाद्यों को कचरे में बीनते भी नहीं हैं।
एसयूपी मतलब फिर इस्तेमाल नहीं
एसयूपी का मतलब सीधा है कि इसका पुन: इस्तेमाल नहीं हो सकता लेकिन मिनरल वॉटर बॉटल्स जैसे उत्पादों का लंबे समय तक प्रयोग करने की परिपाटी। 50 माइक्रॉन से ज्यादा के कैरीबैग्स बनाने से भी समस्या का हल नहीं होगा।
40 फीसदी वैश्विक प्रदूषण का कारण एसयूपी
09 मिलियन टन एसयूपी हर वर्ष समुद्र के हवाले
14 देशों में एसयूपी पर बैन
(यूके, ताइवान, न्यूजीलैंड, केन्या, जिम्बाब्वे, कनाडा, फ्रांस, मोरक्को, रवांडा, एंटीगा-बरबूडा, अमरीका, बांग्लादेश, द.कोरिया, चीन)
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