-गहलोत के शब्दबाण… -आर्थिक मोर्चे पर छह साल के परीक्षण और त्रुटि के बाद भी, पता नहीं कि सरकार कैसे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करेगी और नौकरी देगी। उन लोगों की देखभाल कैसे करेगी, जिनके पास कोई पैसा-कोई काम नहीं है। यूपीए के तहत एक संपन्न अर्थव्यवस्था एनडीए ने पूरी तरह से नष्ट कर दी।
-मोदीजी के अधीन भारत के लोकतांत्रिक, उदारवादी नैतिकता को पूरी तरह से कम करके आंका गया है। एनडीए, संस्थानों की स्वायत्तता के साथ छेड़छाड़ कर रहा है। पीएसयू बेचे जा रहे हैं और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित किया जा रहा है।
-मोदी 2.0 को उस समय के रूप में याद किया जाएगा, जब लाखों लोगों ने सब कुछ खो दिया और उन्हें लॉकडाउन के दौरान असहनीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सरकार मूकदर्शक बनी रही।
-रेलमंत्री को घेरा : 40 श्रमिक विशेष ट्रेनें विलंबित हो चुकी हैं। 1 ट्रेन को तो पहुंचने में 9 दिन लगे और अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्री गोयल को बिना पोर्टफोलियो के मंत्री बनाकर उन्हें केवल भाजपा के लिए धन उगाहने पर ध्यान केंद्रित करने दें।