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गंभीर घायलों के साथ कर रहे छलावा, सामान्य अस्पतालों की इमरजेंसी पर ही टांग दिए ट्रोमा के बोर्ड

locationजयपुरPublished: May 29, 2023 01:00:53 pm

Submitted by:

Vikas Jain

 

क्या ऐसे ट्रोमा से बचेगी गंभीर घायलों की जान : मात्र एक चिकित्सक, ब्लड प्रेशर, पल्स नापने वाला मॉनिटर तक चालू नहीं

- सीटी स्केन, एमआरआई और अन्य आवश्यक सुविधाएं नहीं होने से आते ही रेफर...तो फिर गोल्डन ऑवर खराब करने के लिए कोई जाए क्यों ?

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विकास जैन


जयपुर। राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ को देखते हुए सरकार ने विभिन्न जिलों में 57 केन्द्रों को ट्रोमा सेंटर घोषित किया हुआ है। इनमें जयपुर जिले के दूदू, कोटपुतली, चौंमू और शाहपुरा शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकांश सेंटर सिर्फ नाम के हैं और सिर्फ जिला व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की इमरजेंसी में रहने वाली सुविधाओं के भरोसे ही चल रहे हैं। इन अस्पतालों में जाने पर घायलों को छलावा मिल रहा है। वहां से भी उन्हें रेफर ही किया जाता है, जिससे घायल की जान बचाने के लिए जरूरी गोल्डन ऑवर खराब हो रहा है।
ट्रोमा सेंटर की गाइडलाइन के अनुसार गंभीर घायल को तत्काल समुचित उपचार सुविधाएं देने के लिए न्यूनतम एक-एक हड्डी, जनरल सर्जरी, मेडिसिन, न्यूरोसर्जरी और ऐनेस्थीसिया का विशेषज्ञ ट्रोमा सेंटर में होना ही चाहिए, लेकिन अधिकांश ट्रोमा की इमरजेंसी में ये सभी डॉक्टर नहीं है। पत्रिका ने कुछ सेंटरों की पड़ताल की तो अन्य अस्पतालों की इमरजेंसी की तरह ही वहां सिर्फ एक ही विशेषज्ञ तैनात थे।
ऐसे ट्रोमा भी कर रहे रैफर, फिर कोई जाए ही क्यों ?
इमरजेंसी इलाज प्रक्रिया से जुड़े चिकित्सकों के अनुसार ट्रोमा का उद्देश्य राजमार्ग के नजदीक अस्पतालों में गंभीर घायलों को तत्काल उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनकी जान बचाना है। यह भी सामने आया है कि राज्य के अधिकांश ट्रोमा सेंटरों में घायल की चोटों का आंकलन करने के लिए सीटी स्केन और एमआरआई मशीनें भी नहीं है। ऐसे में यहां घायलों को ले जाने के बाद वहां मौजूद चिकित्सक और अन्य स्टाफ अधिकांश मामलों में उन्हें मेडिकल कॉलेज स्तर के बड़े अस्पताल या किसी बड़े निजी अस्पताल ले जाने की सलाह ही देते हैं।
शाहपुरा : ट्रोमा के नाम पर ड्रेसिंग, ऑक्सीजन और दवाइयां
राजकीय उप जिला अस्पताल में ट्रोमा सेंटर संचालित किया जा रहा है। जिसमें एक्सरे, ईसीजी, ब्लड जांच सुविधा उपलब्ध है। 24 घंटे तीन शिफ्टों में मात्र एक-एक चिकित्सक और 3-3 तीन नर्सिंग स्टाफ डयूटी पर रहते हैं। इस इमरजेंसी में ड्रेसिंग, ऑक्सीजन और दवाईयों की सुविधांए उपलब्ध है। यानि घायल को प्राथमिक उपचार से अधिक सुविधा नहीं मिल पाती।
दूदू : सीएचसी की तरह ही इलाज, ट्रोमा सिर्फ नाम
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