अपने बेडरूम को अपने जीवन के अन्य पहलुओं से अलग करने की कोशिश करें जिनसे तनाव या बेचैनी हो सकती है। नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, लैपटॉप और सेल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मौजूदगी से सो पाना कठिन हो जाता है। घड़ी-घड़ी अपडेट पाने की चाह और स्क्रीन पर फोकस आपकी नींद को आगे बढ़ाने या टालने का काम करने लगता है।
चमकती इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आपके शरीर में मेलाटोनिन के उत्पादन को दबा देती है, जो नींद के लिए एक महत्त्वपूर्ण हार्मोन है। यदि आप अपने बिस्तर को नींद के अलावा अन्य गतिविधियों से जोड़ते हैं, तो आपका दिमाग अशांत हो सकता है और तनाव बढ़ सकता है।
अपनी नींद में सुधार का मतलब आपके आसपास के पर्यावरण में बदलाव करना हो सकता है। अपने बेडरूम की जांच करें, वहां कोई असुविधाजनक स्थिति तो नहीं है जो आपकी नींद में परेशानी दे रही हो। जैसे असुविधाजनक प्रकाश, ध्वनि और तापमान नींद में व्यवधान के सबसे सामान्य कारणों में से कुछ हैं। इन कारणों को हटाएं।
अगर आपको बिस्तर पर जाने के 15 मिनट बाद भी नींद नहीं आ रही तो बिस्तर से उठकर कुछ और करें। उदाहरण के लिए, पढ़ें या संगीत सुनें। इस दौरान बिस्तर पर बिलकुल न जाएं। सबसे महत्त्वपूर्ण है कि आप नींद न आने की चिंता न करें। इस चिंता के चलते एक नींद न आने का दुष्चक्र बन जाता है।
सोने से पहले घंटों में आप क्या पीते हैं, यह भी मायने रखता है। नींद की कमी के लिए कैफीन और अल्कोहल दो सामान्य अपराधी हैं। कैफीन एक उत्तेजक है जो आपको जागृत रख सकता है। अल्कोहल, आपकी नींद की गुणवत्ता को बाधित करता है और समूचे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए इससे बचना ही बेहतर है। इससे अगली सुबह घबराहट भी महसूस हो सकती है।
एक बार बिस्तर पर जाने के बाद नींद के अलावा किसी भी प्रलोभन में न फंसे। टेलीविजन चालू न करें, लैपटॉप न खोलें, ईमेल की जांच न करें। प्रकाश तेज न करें, तेज आवाज में म्यूजिक न बजाएं। ये उत्तेजक गतिविधियां आपको स्लीप मोड में आने देने में बाधक हैं और सोना कठिन बना देगी।