मौके पर मौजूद दर्जनों मजदूरों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया। करीब 20 मिनट की मशक्कत के बाद मिट्टी खोदकर उसमें दबे मजदूर शहीदुल को बाहर निकाला गया। सांस चलते मिलने पर उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया। चिकित्सकों कोशिश भी की लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मृतक के पिता शफीउद्दीन ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि भूमिगत स्मार्ट पार्किग बनाने का ठेका स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने मैसर्स- हरिनारायण खंडेलवाल को दिया था। यहां पर पुराने ढर्रे से काम चल रहा था। करीब 20 फीट नीचे काम कर रहे मजदूरों के सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। लापरवाही के चलते ही शहीदुल की मौत हुई है। देर शाम स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने भी घटनास्थल का दौरा किया।