पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चे का अच्छा व्यक्तित्व बनाने के लिए उसमें विनम्रता का गुण विकसित करें। अपने बेटे को सिखाएं कि हम जेंटलमैन कपड़ों से नहीं विचार और व्यवहार से बनते हैं। अहम या अकड़ इंसानी व्यवहार का गुुण नहीं बल्कि अवगुण है। दूसरी तरफ विनम्र बने रहना इंसानों के श्रेष्ठ गुणों में शुमार है। शिष्टाचार के शब्द और व्यवहार उन्हें कमजोर नहीं बल्कि एक मजबूत और अच्छा इंसान बनाते हैं। उन्हें बताएं कि किन-किन मौकों पर किस-किस तरह उन्हें विनम्रता के उदाहरण पेश करने चाहिए। विनम्रता की अहमियत से उन्हें परिचित कराएं।
आजकल ‘मैं’ और ‘मेरा’ की सोच अधिक देखने को मिलेगी। जबकि दूसरों को देने से चीजें कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है। देने के सुख की भी अपनी अहमियत है। बच्चों को पाने के लालच से बाहर निकालें। उन्हें शेयरिंग की अहमियत बताएं। प्रकृति का नियम है कि जब आप देना शुरू करते हैं तो अपने आप मिलने लगता है। उनसे कहें वे समाज के लिए उपयोगी बनें। उसे देने वाला बनाएं। आपको बहुत कुछ मिलना शुरू हो जाएगा।
बचपन अच्छी आदतों को सिखाने का बेहतरीन समय होता है। इसका सही इस्तेमाल करें। अपने बेटे को दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान की भावना रखना सिखाएं। बच्चे को कठिन समय में खुद पर नियंत्रण रखना और अपने गुस्से पर काबू रखना सिखा सकें तो वो जरूर बेहतर इंसान बन सकता है। अपने बच्चे को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना सिखाएं। अपने घर आप महिलाओं के प्रति अपना व्यवहार सामान्य रखें ताकि आपका बच्चा भी महिलाओं को सम्मान देना सीखें।
मदद की आदत न केवल व्यक्तिव के लिए सकारात्मक होती है, बल्कि यह मजबूत सामाजिक संबंध भी देती है। बच्चों में मदद करने की सोच विकसित करें। उन्हें ऐसे मौकों की तलाश करना सिखाएं जब वे किसी की मदद कर सकें। एक अच्छे व्यक्ति के रूप में हमारी पहचान इसी बात से तय होती है कि हम दूसरों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। अगर हम किसी का कष्ट देखकर उसकी मदद को आगे बढऩा सीख जाते हैं तो हम अच्छे इंसान हैं।