यह दिया जा रहा तर्क..
—जेडीए ने उसी प्रोजेक्ट में अतिरिक्त कार्य बताते हुए 45 करोड़ का काम भी टाटा प्रोजेक्ट्स को ही सौंपने की तैयारी की।
—इसके पीछे तर्क दिया गया कि एक ही प्रोजेक्ट में दो अलग—अलग एजेंसियां काम करेगी तो काम प्रभावित होगा और समय पर नहीं होने की आशंका बनी रहेगी। दोनों एजेंसियों के बीच समन्वय नहीं हो पाएगा।
—स्मार्ट कॉरिडोर के तकनीकी प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है। अभी वित्तीय मामले में टाटा प्रोजेक्ट्स से नेगोसिएशन होगा, जिसमें दर कम से कम लाने का प्रयास किया जाएगा।
—कंपनी जिस भी दूसरी तकनीकी कंपनी से काम कराएगी, उसके लिए जेडीए ने मापदण्ड़ तय किए हैं। जेडीए उसे नकार भी सकती है।
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जवाब मांगते सवाल…
—पारदर्शिता के तहत इस काम के लिए अलग से निविदा जारी की जा सकती है। फिर चाहे काम टाटा प्रोजेक्ट्स ही मिल जाए। लेकिन इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और किसी को भी सवाल करने का मौका नहीं मिलेगा।
—अफसरों ने पहले ही अंदाजा कैसे लगा लिया कि दो एजेंसियां काम करेगी तो उनमें समन्वय नहीं होगा। ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जिनमें दो से ज्यादा एजेंसियां काम कर रही हैं।
—निविदा प्रक्रिया अपनाए जाने पर दर और भी कम आ सकती है। इस पर भी गौर नहीं किया गया।
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यूं बनेगा स्मार्ट कॉरिडोर…30 किलोमीटर में कहीं छोड़ो साइकिल
एरिया :— विद्याधर नगर में मजार डेम से जगतपुरा के पास रामचन्द्रपुरा के बीच 30 किलोमीटर दूरी।
लागत — 45 करोड़ रुपए
स्मार्ट सुविधाएं : बायसाइकिल शेयरिंग स्कीम के तहत 100 से ज्यादा साइकिल होंगी, जिसे 30 किलोमीटर दूरी में किसी भी जगह छोड़ा जा सकेगा। इसके अलावा 18 जगह वाईफाई हॉट—स्पॉट, 10 हिस्सों में एनवायरमेंटल सेंसर लगेंगे। 100 स्मार्ट बिन लगाए जाएंगे, जिसमें सेंसर लगे होंगे। 80 प्रतिशत कचरा होने पर नॉक सेंटर में स्वत: अलर्ट हो जाएगा, जिससे की समय पर उसे खाली किया जा सके। यानि, रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी। 1800 स्मार्ट लाइट लगाई जाएंगी। दस कियोस्क होंगे।
—जेडीए ने उसी प्रोजेक्ट में अतिरिक्त कार्य बताते हुए 45 करोड़ का काम भी टाटा प्रोजेक्ट्स को ही सौंपने की तैयारी की।
—इसके पीछे तर्क दिया गया कि एक ही प्रोजेक्ट में दो अलग—अलग एजेंसियां काम करेगी तो काम प्रभावित होगा और समय पर नहीं होने की आशंका बनी रहेगी। दोनों एजेंसियों के बीच समन्वय नहीं हो पाएगा।
—स्मार्ट कॉरिडोर के तकनीकी प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है। अभी वित्तीय मामले में टाटा प्रोजेक्ट्स से नेगोसिएशन होगा, जिसमें दर कम से कम लाने का प्रयास किया जाएगा।
—कंपनी जिस भी दूसरी तकनीकी कंपनी से काम कराएगी, उसके लिए जेडीए ने मापदण्ड़ तय किए हैं। जेडीए उसे नकार भी सकती है।
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जवाब मांगते सवाल…
—पारदर्शिता के तहत इस काम के लिए अलग से निविदा जारी की जा सकती है। फिर चाहे काम टाटा प्रोजेक्ट्स ही मिल जाए। लेकिन इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और किसी को भी सवाल करने का मौका नहीं मिलेगा।
—अफसरों ने पहले ही अंदाजा कैसे लगा लिया कि दो एजेंसियां काम करेगी तो उनमें समन्वय नहीं होगा। ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जिनमें दो से ज्यादा एजेंसियां काम कर रही हैं।
—निविदा प्रक्रिया अपनाए जाने पर दर और भी कम आ सकती है। इस पर भी गौर नहीं किया गया।
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यूं बनेगा स्मार्ट कॉरिडोर…30 किलोमीटर में कहीं छोड़ो साइकिल
एरिया :— विद्याधर नगर में मजार डेम से जगतपुरा के पास रामचन्द्रपुरा के बीच 30 किलोमीटर दूरी।
लागत — 45 करोड़ रुपए
स्मार्ट सुविधाएं : बायसाइकिल शेयरिंग स्कीम के तहत 100 से ज्यादा साइकिल होंगी, जिसे 30 किलोमीटर दूरी में किसी भी जगह छोड़ा जा सकेगा। इसके अलावा 18 जगह वाईफाई हॉट—स्पॉट, 10 हिस्सों में एनवायरमेंटल सेंसर लगेंगे। 100 स्मार्ट बिन लगाए जाएंगे, जिसमें सेंसर लगे होंगे। 80 प्रतिशत कचरा होने पर नॉक सेंटर में स्वत: अलर्ट हो जाएगा, जिससे की समय पर उसे खाली किया जा सके। यानि, रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी। 1800 स्मार्ट लाइट लगाई जाएंगी। दस कियोस्क होंगे।