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जयपुर

‘दिलÓ और ‘दिमागÓ का बिगड़ा तालमेल, जमीन पर उपचार करा रहे मरीज

सवाई मानसिंह अस्पताल : न्यूरोसर्जरी और कार्डियोलॉजी विभाग जगह के लिए आमने-सामने
 

जयपुरJan 20, 2019 / 01:57 pm

Avinash Bakolia

cardiology department

‘दिलÓ और ‘दिमागÓ का बिगड़ा तालमेल, जमीन पर उपचार करा रहे मरीज

विकास जैन

जयपुर. सवाई मानसिंह अस्पताल में ‘दिलÓ और ‘दिमागÓ के विभागों में काफी समय तालमेल नहीं बन पा रहा है। दोनों ही विभाग यानी न्यूरोसर्जरी और कार्डियोलॉजी एक बार फिर अपने-अपने मरीजों को अधिक जगह दिलाने के लिए आमने-सामने हो गए हैं। जबकि दोनों ही विभागों के मरीज जमीन पर इलाज कराने को मजबूर हैं।
कार्डियोलॉजी विभाग में बजट घोषणा के अनुसार नई कैथ लैब लगाई जानी है। इसके लिए विभाग को अतिरिक्त जगह की आवश्यकता है। विभाग के प्रस्ताव पर कॉलेज प्रशासन ने न्यूरोसर्जरी के एक वार्ड का कुछ हिस्सा कार्डियोलॉजी को देने का निर्णय किया है। इस पर न्यूरोसर्जरी विभाग ने विरोध जताया। विवाद के बीचपत्रिका ने शनिवार को दोनों विभागों की स्थिति जानी तो मरीज जमीन पर ईलाज कराते मिले।
विभागों के बीच यह विवाद छह माह से चल रहा है। पिछले साल सितंबर में भी न्यूरोसर्जरी विभाग ने इस पर आपत्ति जताई थी। लेकिन अब बताया जा रहा है कि कॉलेज प्रशासन ने न्यूरोसर्जरी विभाग के वार्ड के हिस्से पर ही कैथ लैब बनाने का निर्णय कर लिया है। इसके बदले न्यूरोसर्जरी को दूसरी जगह देने की बात कही है। जबकि न्यूरोसर्जरी विभाग का कहना है कि जो स्थान कॉलेज की ओर से देने की बात कही गई है, वह इमरजेंसी एग्जिट है। नियमानुसार वहां वार्ड बनाया नहीं जा सकता है।
न्यूरोसर्जरी: मरीजों के हितों की अनदेखी क्यों: डॉ. सिन्हा
मामले पर न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वी.डी. सिन्हा का कहना है कि कॉलेज में हर विभाग का विस्तार होना चाहिए। न्यूरोसर्जरी के मरीजों का कई साल पहले जमीन पर रखकर उपचार करना मजबूरी होता था, लेकिन कुछ सालों में किए गए प्रयासों से तस्वीर बदली थी। हर मरीज को पलंग मिलता था, लेकिन अब कार्डियोलॉजी के विस्तार के नाम पर पहले 20 पलंगों का एक हिस्सा ले लिया गया। अब 20 पलंग क्षमता का ही एक दूसरा हिस्सा भी लिया जा रहा है, जिससे फिर से कई मरीजों का जमीन पर रखकर उपचार करना पड़ रहा है। बदले में विभाग को जो जगह दी जा रही है, वह तो इमरजेंसी एग्जिट है। वहां वार्ड कैसे बनाया जा सकता है। नई के लिए वर्तमान कैथ लैब के नजदीक एक दूसरी जगह और है। वहां छत डालकर काम किया जा सकता है।
कार्डियोलॉजी: कॉम्प्लेक्स एक ही होना चाहिए : डॉ. शर्मा
कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य एवं कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. शशिमोहन शर्मा का कहना है कि इस मामले को बेवजह कुछ लोग तूल दे रहे हैं। कार्डियोलॉजी विभाग को इतनी जगह भी नहीं दी गई है कि हर मरीज का पलंग पर उपचार किया जा सके। हम कई बार यह विषय रख चुके हैं। अब नई कैथ लैब बनेगी तो हजारों गरीब मरीजों को फायदा मिलेगा। पूरी दुनिया में कैथ लैब का एक ही कॉम्प्लेक्स होता है। यहां सारे विशेषज्ञ मौजूद होते हैं। होना यह चाहिए कि इमरजेंसी में आने वाले मरीज को कैथ लैब में शिफ्ट करने का सिस्टम मजबूत हो। हमने तो पहले यह भी प्रस्ताव दिया था कि बांगड़ परिसर में रिसेप्शन के पीछे वाली जगह को कार्डियक और न्यूरो इमरजेंसी का रूप दिया जाए। अब भी ऐसा होता है तो यह एक पूरा कॉप्लेक्स होगा, जो आदर्श सेंटर के रूप में होगा।
न्यायालय की फैसले की अवहेलना
मरीजों का जमीन पर उपचार किया जाना न्यायालय के फैसले की भी अवहेलना है। राजस्थान पत्रिका ने दोनों ही विभागों में जमीन पर उपचार किए जाने का मामला पहले भी उठाया था।
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