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आठ किलो वजनी कैंसर की गांठ निकालकर दिया जीवनदान

locationजयपुरPublished: Feb 17, 2020 09:54:51 pm

Submitted by:

Avinash Bakolia

– एमएसएस अस्पताल के चिकित्सकों ने किया कमाल

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जयपुर. सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने 61 वर्षीय अलवर निवासी हरीश चंद्र की पेल्विस हड्डी (कूल्हे की हड्डी) के कैंसर की गांठ निकालकर नया जीवन दिया। गांठ का वजन आठ किलोग्राम था। यह इतनी बड़ी थी कि मरीज के घुटनों तक लटक रही थी।
वर्ष 1989 में मरीज को पहली बार मटर के दाने के बराबर गांठ होने का अंदेशा हुआ तो स्थानीय चिकित्सक द्वारा मरीज को एसएमएस अस्पताल में रैफर किया गया। चिकित्सकों ने गांठ की सर्जरी की सलाह दी, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते मरीज सर्जरी को टालता गया। कुछ समय बाद यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती रही एवं इतनी बड़ी हो गई कि मरीज के पेट से घुटनों तक लटक गई, जिससे मरीज का चलना-फिरना मुश्किल हो गया था।
10 जनवरी को अस्पताल अधीक्षक डॉ. डी.एस. मीणा को दिखाया तो उन्होंने मरीज को सर्जरी के संभावित खतरों के बारे में समझाकर विश्वास दिलाया कि वह ठीक हो सकता है। 30 जनवरी को मरीज की बायप्सी की जांच की गई, तो उसमें कैंसर होना पाया गया एवं सर्जरी के बारे में बताया गया। 5 फरवरी को मरीज को भर्ती कर सर्जरी की तैयारियां शुरू की गई।
मॉकड्रिल भी की गई
चिकित्सकों ने बताया कि तीस साल से मरीज की गांठ धीरे-ध्ीरे बढ़ रही थी। शरीर के खून का काफी हिस्सा इसमें जा रहा था। मरीज के इस गांठ को हटाने के लिए निश्चेतना विभागों के विशेषज्ञों की टीम में फरीद अहमद, आचार्य डॉ. सोनाली भाटिया, सह आचार्य के साथ सर्जरी की मॉकड्रिल की गई। सबसे पहले रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. मीनू बगरहट्टा एवं सहायक आचार्य डॉ. सुनील जाखड़ ने विभिन्न स्केन कर ट्यूमर की साइज एवं रक्त धमनियों की स्थिति एवं पेट के अन्य अंगों जैसे ब्लेडर, पेलविक फ्लोर आदि का ट्यूमर में संबंध पता किया गया, ताकि सर्जरी के दौरान अन्य अंगों को चोट नहीं पहुंचे एवं रक्त स्त्राव कम हो। संभावित रक्त स्त्राव, खून की आवश्कता, दिल की धड़कनों का उतार-चढ़ाव एवं आपातकाल में काम आने वाली एवं जीवन रक्षक दवाइयां एवं उपकरणों की तैयारी की गई।
पांच घंटे चला ऑपरेशन
11 फरवरी को डॉ. डी.एस. मीणा के निर्देशन में सहायक आचार्य डॉ. राजकुमार हर्षवाल, डॉ. विक्रम सिंह शेखावत, सीनियर रेजिडेंट एवं डॉ. अंकुर रेजिडेंट की टीम में इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। ट्यूमर को बड़ी सावधानी से शरीर के अन्य अंगों एवं खून की नसोंं से अलग किया। पैल्विस हड्डी को काट कर ट्यूमर को शरीर से बाहर निकाला तो इसके साथ खून का बड़ा हिस्सा भी ट्यूमर के साथ निकला। पांच घंटे की सर्जरी में चार यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ी। सर्जरी के बाद मरीज को तीन दिन तक गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया। अब मरीज खतरे से बाहर है।
दावा: बिना पांव काटे निकाला ट्यूमर
मेडिकल जनरल में बोन ट्यूमर के अब तक इससे बड़े दो ही केस रिपोर्ट हैं तथा दोनों में पैर एवं हाथ को काट कर ट्यूमर को अलग किया गया था। चिकित्सकों का दावा है कि इस केस में बड़ा ट्यूमर होते हुए भी पांव को पूरी तरह से बचा लिया गया।
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