सरकारी अस्पताल आने से बचते रहे मरीज
हड़ताल को देखते हुए मरीज भी अस्पताल में भर्ती होने से कतराते रहे। अस्पतालों में वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए। ऐसे में मरीजों की परेशानी दोगुनी हो गई। रेजीडेंट डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण मुख्य रूप से आउटडोर व आपातकालीन इकाई में आने वाले मरीज तथा आइसीयू में भर्ती मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीजों ने बातचीत में कहा कि हड़ताल ना हो ऐसा कोई उपाय निकालना चाहिए।
हड़ताल को देखते हुए मरीज भी अस्पताल में भर्ती होने से कतराते रहे। अस्पतालों में वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए। ऐसे में मरीजों की परेशानी दोगुनी हो गई। रेजीडेंट डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण मुख्य रूप से आउटडोर व आपातकालीन इकाई में आने वाले मरीज तथा आइसीयू में भर्ती मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीजों ने बातचीत में कहा कि हड़ताल ना हो ऐसा कोई उपाय निकालना चाहिए।
नजर नहीं आई वैकल्पिक व्यवस्था
मरीज दिनभर उपचार के लिए इधर-उधर भटकते रहे पर उन्हें कोई राहत नहीं मिली। आपातकालीन इकाई में आने वाले कई मरीजों को तो मजबूरन दूसरे अस्पताल में उपचार के लिए जाना पड़ा। यही हाल आउटडोर का रहा। वैकल्पिक इंतजाम ना के बराबर नजर आए।
मरीज दिनभर उपचार के लिए इधर-उधर भटकते रहे पर उन्हें कोई राहत नहीं मिली। आपातकालीन इकाई में आने वाले कई मरीजों को तो मजबूरन दूसरे अस्पताल में उपचार के लिए जाना पड़ा। यही हाल आउटडोर का रहा। वैकल्पिक इंतजाम ना के बराबर नजर आए।