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अंटार्कटिका की बर्फ हो रही हरी, अंतरिक्ष से भी दे रही दिखाई

locationजयपुरPublished: May 21, 2020 12:11:37 am

Submitted by:

anoop singh

जलवायु परिवर्तन: उपग्रहों से लिए डेटा पर बनाई रिपोर्ट, विशेषज्ञ बढ़ते तापमान को बता रहे कारण

अंटार्कटिका की बर्फ हो रही हरी, अंतरिक्ष से भी दे रही दिखाई

अंटार्कटिका की बर्फ हो रही हरी, अंतरिक्ष से भी दे रही दिखाई

लंदन. आज पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन सभी देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र से लेकर हर देश की सरकार अपने स्तर पर काम करने की कोशिश कर रही है। जलवायु परिवर्तन का असर उत्तरी ध्रुव पर स्थित अंटार्कटिका महाद्वीप पर पहले भी देखा जा चुका है। अब एक नए शोध के अनुसार, अंटार्कटिका की बर्फ हरी होती जा रही है। यह अंतरिक्ष से भी दिखाई पड़ रही है।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के दो उपग्रहों द्वारा दो वर्षों के एकत्र किए गए डेटा के आधार पर यह शोध तैयार की गई है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोध दल और ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वेक्षण की इस शोध में महाद्वीप में शैवाल के बढऩे का नक्शा तैयार किया गया। अंटार्कटिका में हरी बर्फ के बढऩे का कारण जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बढ़ रहे तापमान को माना जा रहा है। पूर्व में खोजकर्ता अर्नेस्ट शेकलटन द्वारा विभिन्न अभियानों में लंबे समय से अंटार्कटिका में शैवाल की मौजूदगी को लेकर आंकड़े जुटाए थे। हालांकि, उस समय इनकी पूरी सीमा अज्ञात थी।
1679 प्रकार के शैवाल मिले
अंटार्कटिका में काई और लाइकेन को प्रमुख प्रकाश संश्लेषक जीव माना जाता है। नए मानचित्र में 1,679 प्रकार के शैवाल खिलते हुए पाए गए हैं। जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को पकडऩे के लिए महाद्वीप की क्षमता में एक प्रमुख घटक हैं। मैट डेवी के अनुसार, अंटार्कटिका के शैवालों की मात्रा ब्रिटेन में कार यात्रा में निकलने वाले 8 लाख 75 हजार कार्बन के बराबर है।
लाल-नारंगी शैवाल पर भी शोध की योजना
अंटार्कटिका में केवल हरा रंग ही नहीं हो रहा है। शोधकर्ता अब लाल और नारंगी शैवाल पर इसी तरह के अध्ययन की योजना बना रहे हैं। हालांकि यह अंतरिक्ष से नक्शे के लिए कठिन साबित हो रहा है। डेवी ने कहा कि, ये वातावरण से कार्बन लेते हैं। हालांकि, अभी यह वातावरण में घुलती कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में कोई सेंध नहीं लगाएगा। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ऑफ प्लांट साइंसेज विभाग के मैट डेवी के अनुसार, पहले हमारे पास किसी प्रकार की कोई बेसलाइन (आधाररेखा) नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास एक आधार रेखा है, जहां शैवाल का फैलाव हो रहा है। साथ ही, हम देख सकते हैं कि क्या भविष्य में मॉडल बढऩे के साथ ही खिलने शुरू हो जाएंगे।

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