यह रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग गाड़ी की विंडस्क्रीन पर लगेगा, जो बैंक अकाउंट या नैशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पेमेंट वॉलिट से जुड़ा होगा। इससे गाड़ी मालिकों को टोल प्लाजा से गुजरते रुकने की जरूरत नहीं होगी और रकम अकाउंट से अपने आप कट जाएगी।
मोबाइल की तरह हो सकेगा रिचार्ज
मंत्रालय ने सिस्टम में बदलाव की निगरानी और नैशनल हाइवेज अथॉरिटी (NHAI) के साथ तालमेल बनाकर काम करने के लिए करने के लिए कई राज्यों में केंद्रीय प्रभारी अधिकारियों की नियुक्ति की है। इसका क्रियान्वयन NHAI ही कर रही है। ऊपर जिस अधिकारी का जिक्र किया है, उन्होंने बताया कि अधिकांश कमर्शल गाड़ियों ने पहले ही FASTags सिस्टम अपना लिया है। निजी कार मालिक अभी भी कैश टोलिंग से छुटकारा पाने का इंतजार कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा, ‘हम सभी टोल प्लाजा पर गाड़ी चलाने वाले लोगों को FASTags के बारे में जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं। हम आखिर में FASTag को मोबाइल की तरह रिचार्ज करने की सहूलियत भी दे देंगे।’
नई गाड़ी खरीदते समय ही डीलर से आप फास्टैग प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, पुराने वाहनों के लिए इसे नेशनल हाईवे के प्वाइंट ऑफ सेल से खरीदा जा सकता है. इसके अलावा फास्टैग को प्राइवेट सेक्टर के बैंकों से भी खरीद सकते हैं. इनका टाइअप नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से होता है. इसे सिंडिकेट बैंक, Axis बैंक, IDFC बैंक, HDFC बैंक, SBI बैंक और ICICI बैंक से प्राप्त कर सकते है. आप चाहें तो Paytm से भी फास्टैग खरीद सकते हैं.