script

तो इसलिए पुलिस के हाथ से छूट जाते हैं अपराधी

locationजयपुरPublished: Oct 18, 2018 01:19:12 am

आपस में ही सूचना नहीं देती पुलिस टीमें

जयपुर. अपराधियों को पकडऩे का श्रेय लेने की पुलिस की आपसी होड़ में बदमाशों की मौज हो रही है। इस होड़ के कारण कई बार बदमाश पकड़ में नहीं आते और आमजन को न्याय नहीं मिल पाता। जयपुर कमिश्ररेट में किसी संगीन वारदात के बाद पांच स्तर पर पुलिस टीम अपराधियों को पकडऩे में जुटती है लेकिन इन टीमों में आपसी तालमेल नहीं होता। न ही वे अपराधियों के बारे में एकत्र सूचनाएं आपस में साझा करती हैं। उनमें प्रतिस्पद्र्धा रहती है कि अपराधियों को पकड़कर पदोन्नति, पुलिस मेडल, इनाम या प्रशंसा पत्र हासिल करे। इसी फेर में अपराधी हाथ से निकल जाता है।
——————————-
47 हत्याएं करने वाले बदमाश खुलेआम घूम रहे
जयपुर जिले की बात करें तो इस वर्ष सितम्बर तक पूरे जिले में 114 हत्याएं हुईं। इनमें जयपुर कमिश्ररेट और जयपुर ग्रामीण पुलिस के आंकड़े शामिल हैं। हत्या के 47 मामलों में पुलिस अपराधियों तक नहीं पहुंच सकी। जबकि 20 मामलों में एफआर लगा दी। पुलिस के आंकड़ों पर ही गौर करें तो जिले में 47 हत्याएं करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन पुलिस को उनकी भनक तक नहीं है।
——————————-
संगीन वारदात पर यों जुटते
किसी भी थाना क्षेत्र में संगीन वारदात होने पर स्थानीय थाना पुलिस अपराधियों की तलाश में जुट जाती है। इसके अलावा क्षेत्रीय डीसीपी उस थाने के सर्कल क्षेत्र या जिले के पुलिसकर्मियों की टीम बनाते हैं। साथ में डीसीपी की क्राइम ब्रांच टीम अपराधियों के खिलाफ जानकारी जुटाती है। क्राइम ब्रांच डीसीपी की टीम भी मौके पर पहुंचती है। एडिशनल डीसीपी की सीआइयू टीम भी अपराधियों की धरपकड़ के लिए सूचनाएं एकत्र करने में जुटती है। मामला बड़ा हो तो एसओजी-एटीएस की टीम को मदद के लिए लगाया जाता है। इतनी टीमें होने के बावजूद अपराधी पकड़ से दूर होते हैं। कुछ पुलिसकर्मियों का कहना है कि ये टीमें अपराधियों के बारे में मिलने वाली सूचनाएं एक-दूसरे से साझा नहीं करतीं। हर टीम इसी प्रयास में रहती है कि वह खुद अपराधियों को पकड़े।
——————————-
ये हैं पुलिस टीमें
1. वारदत होने पर स्थानीय थाना पुलिस की टीम
2. सर्कल एसीपी की टीम
3. क्षेत्रीय डीसीपी की क्राइम ब्रांच टीम (डीसीपी घटना को लेकर कई टीमों का गठन करते हैं)
4. डीसीपी क्राइम की टीम
5. एडिशनल कमिश्नर की सीआइयू टीम
6. एसओजी-एटीएस की टीम (बड़ा मामला हो तो)
——————————-
जयपुर में मुंह चिढ़ाते हत्या के आंकड़े
पुलिस जिला — हत्या के दर्ज प्रकरण — एफआर — लंबित — चालान
जयपुर उत्तर — 11 — 2 — 4 — 5
जयपुर दक्षिण — 23 — 2 — 11 — 10
जयपुर पूर्व — 15 — 1 — 6 — 8
जयपुर पश्चिम — 27 — 7 — 8 — 12
जयपुर ग्रामीण — 38 — 8 — 18 — 12
कुल — 114 — 20 — 47 — 47
(आंकड़े जनवरी 2018 से सितम्बर 2018 तक के)
——————————-
पुलिस की जो टीम वारदात का खुलासा करती है, उसकी और उसके अधिकारियों की पीठ थपथपाई जाती है। इसलिए कई बार पुलिस टीमें एक-दूसरे से सूचनाएं साझा नहीं करतीं। हालांकि अब हाइटेक दौर में पुलिस को आपसी तालमेल बनाकर ही अपराधियों का पीछा करना होगा।
– पीएन रछोया, सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी

ट्रेंडिंग वीडियो