प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जता चुके हैं मंशा
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री की पुलिस महानिदेशक व महानिरीक्षकों के सम्मेलन में सोशल मीडिया की गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की गई थी। वहीं, वर्ष 2015 में कलेक्टर-एसपी सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने भी इस सेल के गठन के निर्देश दिए थे।
बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति
सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी व जाति, धर्म व पंथ आदि पर अनर्गल टिप्पणियां करते हैं। इससे कई बार कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाती है। पुलिस तथा सुरक्षा एजेंसियां इंटरनेट गतिविधियों को इंटरसेप्ट करती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को इंटरसेप्ट करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसे देखते हुए राज्य पुलिस की स्पेशल ब्रांच की ओर से सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा गया, जिसे हाल ही मंजूर कर लिया गया और गृह विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।
यूं है जरूरत
खुफिया पुलिस ने बताया कि साइबर क्राइम यूनिट का काम एफआईआर दर्ज करना, आरोपी के खिलाफ चार्जशीट पेश करना, साइबर क्राइम की रोकथाम, साइबर सुरक्षा के लिए जिला एवं रेंज पुलिस को सहायता देना है। वहीं, दूसरी ओर सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल का काम साइबर स्पेस से इंटेलीजेंस एकत्रित करना, कानून व्यवस्था, राष्ट्र विरोधी व्यक्तियों की साइबर गतिविधियों व टिप्पणियों पर नजर व उनका विश्लेषण करना है।
पहले अडंगा, फिर आदेश
राज्य विशेष शाखा की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को पहले गृह विभाग ने यह कहकर लौटा दिया था कि राज्य में रेंज स्तर पर साइबर क्राइम यूनिट गठित की जा रही है। एेसे में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल की जरूरत ही नहीं है। हालांकि खुफिया पुलिस ने दोनों में अंतर बताया, तब संतुष्टि के बाद सेल के गठन की स्वीकृति जारी की गई।
इन शहरों में सेल
दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरु, मद्रास आदि प्रमुख शहरों के साथ ही कई राज्यों के पुलिस मुख्यालय में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल है। खुफिया पुलिस की एक टीम मुम्बई पुलिस इंटेलीजेंस शाखा व केंद्रीय सचिवालय का दौरा कर सेल का अध्ययन कर चुकी है। साथ ही बीपीआरडी की ओर से तैयार सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण भी ले चुकी है।
– वर्तमान में सोशल मीडिया पर अवांछनीय गतिविधियां बढ़ रही है। कई बार इनसे कानून व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ जाती है। एेसे में इन पर नजर के लिए सेल की जरूरत थी। राज्य सरकार ने प्रस्ताव मंजूर कर लिया है।
-यू.आर. साहू, एडीजी इंटेलीजेंस
सॉफ्टवेयर तैयार, मुफ्त मिलेगा
डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी व आईआईटी दिल्ली ने सोशल मीडिया विश्लेषण के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। राज्य में सेल की स्थापना होने के बाद पुलिस को यह मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा।
चौबीस घंटे काम करेगा सेल
खुफिया पुलिस की ओर से सोशल मीडिया सेल की स्थापना के लिए 28 पदों की मांग गई थी, लेकिन गृह विभाग ने फिलहाल सेल के लिए 18 पदों की मंजूरी दी है। सेल के लिए एक पुलिस इंस्पेक्टर, तीन सब इंस्पेक्टर, छह एएसआई तथा 6 हैडकांस्टेबल के पदों की मंजूरी दी है। सेल राउंड द क्लॉक 24 घंटे काम करेगी। इनमें इंस्पेक्टर सेल का प्रभारी होगा, जबकि एक सब इंस्पेक्टर, दो-दो एएसआई व हैडकांस्टेबल एक-एक शिफ्ट (तीन शिफ्टों) में ड्यूटी देंगे।