राज एस चौधरी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘जिन लोगों ने अपराध का पौधा लगाया उन लोगों ने ही उसको काट कर उसका अंत कर दिया। इसे कहते हैं राजनीति और अपराध का गठजोड़। यह आनंदपाल का अंत नहीं हुआ बल्कि राजनीतिक अपराधों को जमींदोज किया गया। राज दफना दिए गए। एनकाउंटर की सीबीआई जांच जरूरी है क्योंकि इसमें बड़े-बड़े राज उजागर हो सकते हैं क्योंकि इस एनकाउंटर के पीछे बहुत बड़ी साजिश हो सकती है किन-किन मंत्रियों और सफेदपोश लोगों का आज तक संबंध और सरकार से क्या संबंध थे और उन को जिंदा नहीं पकड़ कर सीधा ही एनकाउंटर करना कहां तक जायज है ? ? ? सरकार के किन किन लोगों के इशारे पर यह एनकाउंटर हुआ ? यह कुछ सवाल है जो जवाब मांगते हैं सरकार से।’
वहीं विष्णु राजपूत ने आनंदपाल के एनकाउंटर से जुड़ी खबर पर फेसबुक पर लिखा, ‘पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त’। एक ने इसी खबर पर लिखा, ‘फेक एनकाउंटर, सबको पहले से ही पता था कि पुलिस उस को पकड़ना ही नहीं चाहती, सीधा एनकाउंटर करना था।’
कुलदीप सिंह चौहान ने ट्विटर पर लिखा, ‘आतंक का अंत, पर ये बनते भी तो नेताआें ही शह पर ही तो’। दूसरे ने लिखा, ‘राजस्थान का शेर नहीं रहा’। सुखवीर चौहान ने लिखा, ‘आप लोगों के कमेंट देख कर तो लग रहा है, आप लोगों के idol पुलिस ऑफिसर नही बल्कि वो बदमाश था।’
एक अन्य ने लिखा, ‘बुरार्इ का वध तो होता ही है हर बार’। वहीं फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा, ‘पुलिस को सरेंडर किया होगा, पुलिस ने नाम कमाने के लिए गोली चलार्इ होगी।’
एक अन्य फेसबुक यूजर ने लिखा, ‘शनि की दशा खराब हो तो यही होता है।’ तो दूसरे ने लिखा, ‘एक भंवरी के बाद एक भंवरा शिकार हुआ गंदी राजनीति का’।