कर्ज माफी 2018 में सरकार ने पचास हजार रुपए तक के कर्ज माफ किए थे। इस योजना में 27 लाख 65 हजार किसान लाभान्वित हुए थे। करीब आठ हजार करोड़ रुपए माफ किए गए। इसके बाद फर्जीवाड़े सामने आए। वर्तमान सरकार ने कर्जमाफी योजना 2019 लागू की, जिसमें अल्पकालीन फसली ऋण पूरी तरह माफ किए गए। फर्जी नाम वाले खातों की निगरानी के लिए सरकार ने कर्जमाफी से पहले खाताधारक की तस्दीक आधार कार्ज से की। ऐसे में फर्जी लोग तस्दीक कराने ही नहीं आए। नतीजा यह रहा कि गत वर्ष की तुलना में इस बार करीब बीस लाख किसान ही कर्ज माफी के लिए आगे गए। ऐसे में करीब सात लाख खाते संदेह के घेरे में हैं।
कर्जमाफी घोटालों की लगातार आ रही शिकायातों को देखते हुए सरकार ने ही जांच कराने का कदम उठाया। मुख्यमंत्री कार्यालय से फर्झीवाड़े को लेकर पड़ताल की चिट्ठी एसओजी पहुंची। एसओजी में प्रारम्भिक पड़ताल का जिम्मा एडिशनल एसपी नीरज को दिया गया। उन्होंने सहकारी भवन स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय से रिकॉर्ड लोने के बाद जिलेवार पड़ताल शुरू कर दी है।
कर्जमाफी के अलावा सहकारी बैंकों में गत वर्षों में हुए कई घोटाले सामने आ रहे हैं। इनमें मुख्य घोटाले अवलर का आरटीजीएस घोटाला और पाली का आवासीय लोन घोटाला है। दोनों ही मामलों की विभाग स्तर पर जांच हो चुकी है, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन बैंकों के अलावा जैसलमेर, सीकर, गांगानगर व अन्य केन्द्रीय सहकारी बैंकों में भी घोटाले सामने आ चुके हैं।
-भूपेन्द्र सिंह यादव, पुलिस महानिदेशक