राजस्थान में बंजर जमीन पर नोटों की फसल
जयपुरPublished: Jul 25, 2020 07:41:33 pm
बंजर जमीन से अच्छी खासी कमाई और वह भी एक या दो नहीं बल्कि पूरे 25 साल तक। कुसुम योजना ऐसी ही योजना है, जिससे किसान सौर ऊर्जा निर्माता बनकर आजीविका कमा सकते हैं। सात किसानों ने सरकार से समझौता किया है।
कुसुम योजना के तहत प्रदेश के कुषकों की अनुपयोगी अथवा बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की खरीद के लिए 7 कृषकों एवं विकासकर्ताओं तथा राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के बीच ‘विद्युत क्रय अनुबंधÓ (पावर परचेज एग्रीमेंट) किया गया।
722 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना
इस अवसर पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव एवं अध्यक्ष राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम अजिताभ शर्मा ने बताया कि हाल ही में कुसुम योजना कंपोनेंट-ए के अंतर्गत प्रदेश के 623 कृषकों, विकासकर्ताओं को 722 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए आवंटन पत्र जारी किए गए थे।
10.50 मेगावाट क्षमता के विद्युत क्रय अनुबंध
उन्होंने बताया कि प्रदेश के तीन जिलों अलवर, सीकर एवं पाली के 7 कृषकों एवं राजस्थान डिस्कॉम्स की ओर से राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.एम. रणवा की ओर से कुल 10.50 मेगावाट क्षमता के विद्युत क्रय अनुबंध निष्पादित किए गए।
3.14 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदेगी सरकार
इस योजना में चयनित कृषकों एवं विकासकर्ताओं के सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित विद्युत को 3.14 रुपए प्रति यूनिट की दर से 25 वर्ष तक क्रय किए जाने हेतु विद्युत क्रय अनुबंध किए गए हैं।
यह है सरकार की योजना
शर्मा ने बताया कि सरकार की ओर से प्रदेश के कृषकों के हितों को देखते हुए बजट घोषणा 2019-20 में आगामी तीन वर्षों में कुल 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट कृषकों की बंजर अथवा अनुपयोगी भूमि पर स्थापित कर उनसे उत्पादित विद्युत क्रय किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं, जिसमें 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत खरीद हेतु सफल 623 कृषकों, विकासकर्ताओं से पावर परचेज एग्रीमेंट निष्पादित किए जाने की प्रक्रिया आज से प्रारंभ कर दी गई है तथा शेष 1878 मेगावाट क्षमताओं की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए आगामी चरण की कार्रवाई जल्दी ही प्रारंभ कर दी जाएगी।
राजस्थान की रफ्तार तेज
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के प्रबंध निदेशक अनिल गुप्ता ने बताया कि संपूर्ण भारत में राजस्थान ही ऐसा पहला राज्य है, जहां इतनी शीघ्रता से कृषकों विकासकर्ताओं का चयन कर उनके साथ पी.पी.ए. की कार्यवाही निष्पादित की गई है।
क्या है कुसुम योजना का लाभ
निगम के प्रबंध निदेशक ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत किसानों एवं विकासकर्ताओं की ओर से अपनी अनुपयोगी या बंजर भूमि पर 0.5 से 2 मेगावाट क्षमता तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा सकती है। इससे किसानों को उनकी बंजर भूमि से 25 वर्ष तक नियमित आय प्राप्त होगी। इसके साथ ही प्रदेश के किसानों को दिन के समय कृषि कार्य हेतु विद्युत आपूर्ति करने में बड़ी सफलता मिलेगी। इसके अतिरिक्त वितरण निगमों की विद्युत छीजत में तथा विस्तार पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।