scriptमझौला व्यापारी बेरोजगारी की समस्या का समाधान | Solution to the problem of medium trader unemployment | Patrika News

मझौला व्यापारी बेरोजगारी की समस्या का समाधान

locationजयपुरPublished: Jun 23, 2021 10:42:16 am

मझौला व्यापारी ( Medium traders ) देश की बहुत बड़ी बेरोजगारी समस्या ( unemployment ) का समाधान है। कोरोना से पीडि़त व्यवसायी की सहायता, जीएसटी कानूनों में सुधार ( GST laws ), आयकर कानूनों में सुधार, श्रम कानूनों में सुधार, कृषि विपणन कानूनों में सुधार ( Agricultural Marketing Laws ), आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानूनों में सुधार एवं एफएसएसएआई कानूनों में सुधार को गति प्रदान की जावें।

मझौला व्यापारी बेरोजगारी की समस्या का समाधान

मझौला व्यापारी बेरोजगारी की समस्या का समाधान

जयपुर। देश के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल (बीयूवीएम) द्वारा आयोजित वेबिनार आमसभा में देश के 700 प्रमुख व्यवसायियों ने भाग लिया। वेबिनार में मुख्य वक्ता बीयूवीएम के राष्ट्रीय चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता एवं बीयूवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय प्रकाश जैन थे। इस अवसर पर बीयूवीएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुम्बई से मोहन गुरनानी, कटक (उड़ीसा) से प्रहलाद खण्डेलवाल, कोलकाता से तारकनाथ त्रिवेदी, तमिलनाडू से टी. वेलियन एवं भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के वरिष्ठ महामंत्री मुकुन्द मिश्रा उपस्थित थे।
बीयूवीएम के राष्ट्रीय चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि देश के विकास में व्यापारी भागीदारी के लिए एक व्यापार भवन का निर्माण किया जाएगा तथा सुदृढ़ सेक्रेट्रेट की व्यवस्था आगे बढ़ाई जाएगी। मझौला व्यापारी देश की बहुत बड़ी बेरोजगारी समस्या का समाधान है। कोरोना से पीडि़त व्यवसायी की सहायता, जीएसटी कानूनों में सुधार, आयकर कानूनों में सुधार, श्रम कानूनों में सुधार, कृषि विपणन कानूनों में सुधार, आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानूनों में सुधार एवं एफएसएसएआई कानूनों में सुधार को गति प्रदान की जावें।
व्यापारियों ने सरकार को दिए सात सुझाव
1. कोरोना से पीडि़त व्यवसायी की सहायता: छोटे एवं मझौले व्यापारी देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी संख्या सात करोड़ है। एमएसएमई में दी जाने वाली सभी छूटों में इन्हें भागीदार बनाया जाए। वर्षभर के बिजली के बिल तथा बैंक की किश्ते वर्षभर के लिए पेन्डिंग की जावें। बैंक ब्याज में 4 प्रतिशत की छूट दी जावें, जीएसटी जमा कराने की तारीख एक वर्ष के लिए टाल दी जावें। कोरोना से जो व्यापारी पीडि़त हुआ है उसको सहायता देकर अपना व्यवसाय करने योग्य बनाया जाएं। ताकि ये व्यापारी बेरोजगार होने से बचें। पहले ही युवा बेराजगारों का देश पर बहुत बड़ा बोझ हैं।
2. जीएसटी कानूनों में सुधार: देश के व्यापार को गति देने के लिए आवश्यक है कि जीएसटी की प्रक्रिया को सरल, रिटर्न फाइल करने में कमी तथा स्क्रूटनी जैसे प्रावधानों को समाप्त किया जाए। जीएसटी दरें अधिकतम वस्तुओं पर 5 प्रतिशत की जानी चाहिए।
3. आयकर कानूनों में सुधार: आयकर ऐसे लिया जाए, जिससे व्यापारी सहर्ष देने के लिए तैयार हो। कम से कम 5 लाख तक की आय को करमुक्त किया जाना चाहिए। अनावश्यक आयकर छापों तथा स्क्रूटनी सिस्टम से बचा जाना चाहिए। आरोपित किए गए टीडीएस तथा टीसीएस के कानून को समाप्त किया जावें।
4. श्रम कानूनों में सुधार: देश के विकास को गति देने के लिए आवश्यक है कि श्रमिकों द्वारा किए जा रहे अनावश्यक कामबंद, हड़ताल आदि को कानून से रोका जाना चाहिए। व्यापार एवं उद्योग को गति देने के लिए एक ओर बेरोजगार को रोजगार दिया जाए तथा दूसरी ओर व्यापार तथा उद्योग को ठप्प कर देश की प्रगति में बाधक बन रहे कानूनों में संशोधन के जरिए सुविधा दी जानी चाहिए।
5. कृषि विपणन कानूनों में सुधार: देश की कृषि उपज मण्डी समिति ग्रामीण परिवेश की आर्थिक नीतियों की धूरी हैं। इनके कानून सहज व सरल होने चाहिए। मण्डी कर आदि देने की बाध्यता न्यूनतम होनी चाहिए। तथा साथ ही मण्डियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर यथा- रोड़, प्लेटफॉर्म आदि का त्वरित गति से विस्तार किया जाना चाहिए। यातायात व्यवस्था एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुरक्षित व सुलभ हो। सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसान की उपज चाहे समर्थन मूल्य पर बिके या या खुले बाजार में बिके, मण्डियों में ही बेची जाए। मण्डी का व्यापारी देश के कृषि व्यवसाय को नियन्त्रित कर किसान को अधिक से अधिक कृषि उपज पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे राज्य का रेवेन्यू बढ़ता हैं और किसान को कृषि उपज का सही दाम मिलता हैं, व उपभोक्ता को कृषि जिंस निम्नतम दामों पर उपलब्ध होती है।
6. आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानूनों में सुधार: उपस्थित व्यवसायियों ने मत व्यक्त किया कि आज का आवश्यक वस्तु अधिनियम देश के विकास में बाधक है। लाइसेंस प्रथा, इन्स्पेक्ट्रीराज, स्टॉक पर अनावश्यक पाबंदियां इस कानून की देन है। इस कानून को समाप्त किया जाना चाहिए।
7. एफएसएसएआई कानूनों में सुधार: देश के विकास को यदि गति देनी हैं तो शुद्ध वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए देश की सरकार को सुदृढ़ कानून बनाने चाहिए। केवल सरसों तेल ही शुद्ध बिके, बाकी तेल क्यों नहीं। पर कानूनों में सुधार के साथ इन्स्पेक्ट्रीराज हावी न हों, इसका पूरा ध्यान रखा जाए। जन जागृति बहुत आवश्यक है।
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