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Somvati Amavasya 2020 बार-बार आ रहीं बाधाएं तो सोमवती अमावस्या से शुरू करें यह सरल पूजा, दूर हो जाएंगी दिक्कतें

locationजयपुरPublished: Dec 09, 2020 06:58:00 pm

Submitted by:

deepak deewan

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बहुत अहम मानी जाती है. इस दिन शिवपूजा का विधान है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। साल में केवल एक या दो सोमवती अमावस्या ही आती हैं इसलिए इनका विशेष महत्त्व होता है। इस तिथि पर अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी रखा जाता है।

Somvati Amavasya Benefits Somvati Amavasya Puja Vidhi

Somvati Amavasya Benefits Somvati Amavasya Puja Vidhi

जयपुर. सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बहुत अहम मानी जाती है. इस दिन शिवपूजा का विधान है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। साल में केवल एक या दो सोमवती अमावस्या ही आती हैं इसलिए इनका विशेष महत्त्व होता है। इस तिथि पर अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी रखा जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु की कामना से अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष की पूजा कर उसमें १०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है। द्वापर युग में भीष्म पितामह ने धर्मराज युधिष्ठिर को सोमवती स्नान का महत्व बताया था. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समृद्धि और स्वास्थ्य सुख प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या पर धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भंवरी दी जाती है। भंवरी का सामान ननद, भांजे या ब्राहृमण को दिया जाता है। स्वयं के परिवार या गोत्र में भंवरी का दान नहीं दिया जाता।
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्द उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें. घर पर ही गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. सुबह सूर्यदेव को जल अर्पित करें और शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प लें. पीपल के पेड़ की पूजा करें और शाम को शिवपूजा करें. इस दिन पितरों को याद करते हुए उन्हें जल अर्पित करें. अमावस्या पर पितरों का स्मरण करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है। उनकी प्रसन्नता से जीवन में सभी सुख प्राप्त होने लगते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार अहम कामों में बार-बार अवरोध आ रहे हों तो सोमवती अमावस्या पर पीपल पेड़ की विधि विधान से पूजा जरूर करें. संभव हो तो 108 परिक्रमा करें और इसके बाद हर अमावस्या पर ऐसा करें. पीपल की इस सरल पूजा से दिक्कतें दूर होने लगेंगी और काम बनने लगेंगे। पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है और पितरों का स्थान भी माना जाता है। याद रखें कि जीवन में सुख प्राप्ति के लिए पितरों का आशीर्वाद बहुत जरूरी होता है।
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