कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया जारी रहने के दौरान राजस्थान में उपजे विवाद में आलाकमान भी अभी उलझन में हैं। इसकी वजह यह है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार बचाकर भी रखना है तो अपने ही आदेश को मनवाना भी जरूरी है। इसी उलझन का रास्ता निकालने के लिए दोनों के बीच कई विकल्पों पर विचार विमर्श हुआ। गुजरात व हिमाचल प्रदेश में चुनाव तारीखों की घोषणा अब कभी भी हो सकती है। ऐसे में दोनों राज्यों में जल्द से जल्द टिकट वितरण के साथ चुनाव प्रचार अभियान में तेजी दिखाने को लेकर भी बातचीत हुई है।
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चाह कर भी नहीं दिखा सकते सख्ती:
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कह चुके हैं कि वे अपने समर्थक विधायकों को धोखा नहीं दे सकते हैं। कांग्रेेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने की भी उन्होंने यही वजह बताई है। ऐेसे में राजस्थान से खाली हाथ लौटे पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे व अजय माकन की रिपोर्ट पर भी आलाकमान चाह कर भी सख्ती नहीं दिखा पा रहा है। पार्टी सरकार गिरने का खतरा भी मोल लेना नहीं चाहती।
गौरतलब है कि गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद नए सीएम के नाम पर विचार के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया था। आलाकमान ने दो मंत्री समेत तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस भी दे रखा है।
अध्यक्ष चुनाव में भी हो रहा विवाद:
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव में भी लगातार कोई न कोई विवाद उठता दिख रहा है। सांसद व अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर के बयान पार्टी को भारी पड़ रहे हैं। इस पर भी पार्टी में मंथन चल रहा है।