रात को मैं सो नहीं पाई रात को मैं ठीक से सो नहीं पाई। बस सुबह होने का इंतजार कर रही थी। हर पल यही आशंका थी कि फाइनल मैच में न जाने क्या होगा? बिट्टू (कमलेश) ठीक से खेलेगा या नहीं? भारत विश्व विजेता बनेगा या नहीं? इसी उधेड़बुन में कब सुबह के पांच बज गए पता ही नहीं चला। यह कहना है कमलेश की मम्मी चंपा नगरकोटी का। उनके मुताबिक जो उनकी स्थिति थी वही अन्य परिजनों की थी। वे भी सभी जल्दी उठ गए। हम सुबह छह बजे तैयार होकर टेलीविजन के सामने बैठे थे। चंपा देवी के अनुसार उन्होंने बेटे के लिए
हनुमान मंदिर में विशेष पूजा की थी। उसी का प्रताप है कि वह विश्व विजेता बन पाया।
मौसम ने भी दिया साथ
पिता लक्ष्मण सिंह के अनुसार उनका पूरा फोकस टॉस पर था। वे चाह रहे थे कि भारत टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करे। चूंकि उनका मानना है कि टारगेट देने के बाद संभवत: ऑस्टे्रलिया टीम लडख़ड़ा जाती और विश्व कप भारत की झोली में होता। लेकिन उनके मुताबिक टॉस हारना भी भारतीय टीम के शुभ रहा। वैसे मैच के दौरान जब बारिश आने लगी तो उनकी चिंता बढ़ गई। एकबारगी तो लगा कहीं ओवर घटा भारतीय टीम को नया लक्ष्य न दे दिया जाए। लेकिन मौसम ने भी भारत का साथ दिया।
दिनभर भूखे रहे परिजनों के अनुसार फाइनल मैच को लेकर वे भी भारतीय टीम के साथ-साथ तनाव में रहे। मैच किस करवट बैठेगा इसी को लेकर परिजनों ने पूरे दिन कुछ नहीं खाया। न ही टेलीविजन के सामने से हटे। जीत के बाद ही खाना बनाकर खाया गया।
अब तो बस उसके आने का इंतजार
बड़ी बहन बबीता ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि अब तो बस बिट्टू के इंतजार है। उसने कॉलिंग के दौरान मम्मी से दाल-चावल खाने की फरमाइश की है। बड़े भाई विनोद का कहना था कि अब तो हम लोग उसके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उसको सभी सरप्राइज पार्टी देंगे।