विशेषज्ञों का कहना है कि पतंग बाजी के मौसम में बच्चों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक तरफ जहां छत से गिरने, सड़क दुर्घटना और मांझे से कटने का खतरा बना रहता है, वहीं सही देखभाल नहीं होने के कारण बच्चों में कई बीमारी घर कर लेती है, जिसका खमियाजा कई दिनों तक भुगतना पड़ता है।
वैसे तो सक्रांति का त्यौहार काफी खुशहाली का त्योहार कहलाता है, लेकिन जरा सी असावधानी इस त्यौहार के रंग में भंग डाल देती है। आंकड़ा भी यही कहता है कि सक्रांति पर जितने लोग दुर्घटना होकर आते हैं उनमें से 60 से 70 फीसदी बच्चे होते हैं। बीमार होकर अस्पताल पहुंचने वालों में भी बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। यही कारण है कि विशेषज्ञ बच्चों के उपचार के साथ-साथ उनकी देखभाल की बात भी करते हैं।
. बच्चों को अकेला छत पर नहीं छोड़े
. सुबह और शाम के समय बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं
. सड़क पर बच्चों को नहीं जाने दें
. रात के समय बच्चों को गरम कपड़ों के साथ रजाई ओड़ावें
. जितना हो सके गरम पानी ही पिलाएं
. नंगे पैर नहीं चलने देवें, पतंग उड़ाते समय अंगुलियों में टेप लगाए
विभिन्न तरह की बीमारियों के साथ-साथ बच्चों को चाइनीज व अन्य तरह के मांझे से भी दूर रखने की जरूरत है। बच्चों की स्कीन बहुत सोफ्ट होती है। ऐसे में मांझे से उनके हाथ की अंगुलियों के कटने का अंदेशा ज्यादा होता है। माता-पिता को चाहिए कि वे उनकी देखभाल करें।