केस नं. 1- 2 मार्च 2015 राजस्थान की राजधानी जयपुर में फिर एक दस साल की बच्ची से दुष्कर्म के बा गला रेत कर हत्या। केस नं. 2- 12 जून 2016 जयपुर में ही तीन साल की बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म करने का मामला।
केस नं. 3- 19 सितंबर 2017 को राजस्थान के सीकर जिले के एक संचालक और शिक्षक द्वारा बारहवीं कक्षा की बच्ची से महीनों गैंगरेप करने का मामला। केस नं. 4- मार्च 2017 में दर्ज राजस्थान के बीकानेर जिले की एक स्कूल की छात्रा आठ शिक्षकों द्वारा महीनों गैंगरेप। गर्भनिरोधक दवाइयों से बच्ची को कैंसर।
केस नं. 5- फरवरी 2017 में दर्ज राजस्थान के चूरू जिले में 15 साल की एक लड़की के साथ गैंगरेप का मामला। केस नं. 6- 25 सितंबर 2017 को राजस्थान के बीकानेर में दिल्ली से आई महिला के साथ तेईस हैवानों ने किया गैंगरेप।
केस नं. 7- 7 जुलाई 2017 उत्तरप्रदेश के बागपत में नौवीं कक्षा की बच्ची के साथ पांच हैवानों ने किया गैंगरेप। केस नं. 8- 27 जुलाई 2017 उत्तरप्रदेश के बागपत में महिला को छपरौली बस स्टैंड से अगवा कर किया गया गैंगरेप।
केस नं. 9- 22 अप्रेल 2015 उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के दोघट में युवती को गैंगरेप के बाद जिंदा जलाया। केस नं. 10- 4 जनवरी 2017 उत्तरप्रदेश के बागपत में ही युवती के घर में घुसे हैवान, गैंगरेप का विरोध करने पर युवती के काटे कान।
केस नं. 11- 24 अप्रेल 2017 उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में जघन्य कांड गैंगरेप के बाद महिला के हाथ-पैर काट पटरी पर फेंका। केस नं. 12- 14 जून 2014 मध्यप्रदेश के खंडवा में गैंगरेप के बाद महिला को ***** करके घुमाया गया।
केस नं. 13- 12 जुलाई 2017 मध्यप्रदेश के इंदौर में पति महिला को हारा जुए में, जीतने वालों ने किया सामूहिक दुष्कर्म। केस नं. 14- 7 जून 2015 मध्यप्रदेश के शिवपुरी में महिला को डायन बता किया गैंगरेप और हैवानों ने उसके गुप्तांग में डाला सरिया।
केस नं. 15- 17 अक्टूबर 2016 छत्तीसगढ़ के महासमुंद में महिला से सामूहिक दुष्कर्म कर वीडियो बनाया। यही हालात हैं। महिलाएं और यहां तक कि स्कूली बालिकाएं और मासूम बच्चियां तक महफूज़ नहीं हैं। क्या रात- क्या दिन, क्या घर-क्या बाहर, क्या कॉलेज-क्या स्कूल। कहीं भी नारी सुरक्षित नहीं है। इसका कारण है कानून-व्यवस्था का कमजोर होना। हैवानों का दुस्साहस यहां तक बढ़ गया है कि घर में घुसकर, कॉलेज या कोचिंग सेंटर के क्लास रूम में या बगीचों में कहीं भी औरत की अस्मत पर हाथ डाल देते हैं। बाद में पुलिस अपनी भूमिका उल-जलूल सवालों के रूप में ऐसे निभाती है, कि सह-आरोपी लगने लगती है।
एक बानगी 28 सितंबर 2017 को दर्ज मामले की – पंजाब के पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह के खिलाफ महिला कांस्टेबल ने बलात्कार का मामला दर्ज कराया है। महिला सिपाही ने आरोप लगाया था कि अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुच्चा सिंंह ने 2009 से कई मौकों पर उससे बलात्कार किया। इतना ही नहीं, दुष्कर्म की क्िलपिंंग भी बनाई।
शिक्षा के मंदिर भी शर्मसार राजस्थान के गृह विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि हाल ही में शिक्षा के मंदिरों में हुई छेड़छाड़, दुष्कर्म, कुकर्म और गैंगरेप की घटनाओं में पांच दर्जन से ज्यादा शिक्षकों-संचालकों ने नामों का खुलासा हुआ है। आंकड़ा और भी ज्यादा शर्मनाक इसलिए बन जाता है कि इन वारदातों में पीडि़ताएं नाबालिग हैं। आरोपियों मेंं से 41 अध्याापकों के खिलाफ चालान कोर्ट में पेश किया गया। शिक्षकों की दरिंदगी की घटनाओं में सीकर जिला सबसे ऊपर है।
फैक्ट फाइल गत एक अगस्त को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर में सूचना दी कि भारत में 2014 से 2016 के दौरान तीन वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 10 लाख 24 हजार 423 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें महिलाओं के विरुद्ध 23 तरह अपराधों को शामिल किया गया है। जहां तक बलात्कार के मामलों का सवाल है तो इन तीन सालों में देश में 1,10,277 रेप केस दर्ज हुए। लोकसभा में दिए गए इन आंकड़ों को खंगालने पर लब्बोलुआब यह निकलता है कि सिर्फ रेप के मामले 2015 के मुकाबले 2016 में 12.23 फीसदी बढ़े। इन मामलों में उन गैंगरेप को अलग से नहीं दिखाया गया है, जो जघन्यतम अपराध है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते की संस्कृति तार-तार आज देश में गोरक्षा के नाम पर इनसानों की हत्याएं हो रही हैं। धर्म के नाम पर संप्रदायवाद फैलाया जा रहा है। लेकिन, धर्म की ध्वजा के अलंबरदार और रहनुमा बने लोग, चाहे वे किसी भी धर्म के हों कोई बेटियों की अस्मत के लिए आवाज़ बुलंद करता नहीं दिखता। ऑनर किलिंग और लव जिहाद के नाम पर खून-खराबा भले ही हो रहा हो, लेकिन कोई उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा कि औरत की अस्मत को बचाने के लिए किसी ने कोई बड़ा कदम उठाया हो। हां, राजनीति हर वारदात के बाद हुई है, हो रही है, होती रहेगी। क्या यह मेरा वही भारत है, जहां नारी की पूजा को सर्वोपरि माना गया है। जहां मनुस्मृति कहती है-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रेतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया: ।।56।। यानी जहां स्त्री जाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं। जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किए गए कार्य सफल नहीं होते हैं ।
बहरहाल, चाहे बीएचयू हो या जेएनयू, चाहे दिल्ली हो या जयपुर या रायपुर या भोपाल। कहीं नारी पर डंडे चल रहे हैं, तो कहीं दुष्कर्म हो रहा है। कोई गारंटी नहीं ले सकता किसी जगह के महिलाओं के लिए महफूज होने की। जाहिर है, ये हालात देश के लिए चिंताजनक हैं।