इससे पहले संशोधन विधेयक को सदन में पारित कराने से पहले संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इस बार केंद्र सरकार ने पावर सेक्टर रिफॉर्म्स के नाम पर लोन लेने के लिए इतनी शर्तें लगा दी है कि जो पहले कभी नहीं लगाई गई थी और यह राज्य सरकारों के हित में नहीं है।
धारीवाल ने राज्य की खराब आर्थिक हालत के लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया और कहा कि बीजेपी के नेता हम पर वित्तीय प्रबंधन का आरोप लगाते हैं लेकिन आज भी हमारी सरकार बिजली के क्षेत्र में करीब 16 हजार करोड़ की सब्सिडी जनता को दे रही है।
वहीं इस विधेयक पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि गहलोत सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में ही 1 लाख 46 हजार करोड़ से अधिक का घाटा बढ़ा दिया है। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने साल 2019 में प्रदेश में 3 लाख 11 हजार करोड़ का कर्जा छोड़ा था जो आज बढ़कर चार लाख 57 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के कुप्रबंधन के चलते राजस्थान आज आर्थिक आपातकाल की स्थिति की ओर बढ़ रहा है। राठौड़ ने कहा कि जो डाक्यूमेंट्स गहलोत सरकार ने हस्ताक्षर करके केंद्र को सौंपे हैं उसमें आधा प्रतिशत लोन लेने के लिए ही कई वादे भी किए हैं।
कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने केंद्र सरकार पर वित्तीय प्रबंधन के आरोप लगाए। लोढ़ा ने कहा कि मोदी सरकार लगातार राज्यों पर कर्ज का बोझ डाल रही है क्योंकि पहले केंद्र ने जिन योजनाओं में राज्य को 90 फ़ीसदी सब्सिडी देती थी अब सब्सिडी को घटाकर 40 से 50 फ़ीसदी कर दिया है। सदन में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के वक्तव्य के बाद संशोधन विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।