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एमबीबीएस पासआउट को राज्य सरकार नहीं दे रही प्रैक्टिस की अनुमति

locationजयपुरPublished: Jul 30, 2021 12:36:51 am

Submitted by:

Gaurav Mayank

प्रदेश के उन एमबीबीएस छात्रों को प्रैक्टिस करने की सरकार अनुमति नहीं दे रही है, जो कोरोना काल में विदेश से इंटर्नशिप छोड़कर आए। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के साथ एनओसी तक लेकर आए, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि ऐसे केस में दूसरे राज्यों में अनुमति दी जा रही है।

एमबीबीएस पासआउट को राज्य सरकार नहीं दे रही प्रैक्टिस की अनुमति

एमबीबीएस पासआउट को राज्य सरकार नहीं दे रही प्रैक्टिस की अनुमति

जयपुर। प्रदेश के उन एमबीबीएस छात्रों को प्रैक्टिस करने की सरकार अनुमति नहीं दे रही है, जो कोरोना काल में विदेश से इंटर्नशिप छोड़कर आए। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के साथ एनओसी तक लेकर आए, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि ऐसे केस में दूसरे राज्यों में अनुमति दी जा रही है।
यह बात सांसद अर्जुनलाल मीणा ने नई दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के समक्ष रखी। सांसद मीणा के साथ सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा भी थे। सांसद ने मंत्री को बताया कि बहुत से छात्र जो चीन या अन्य देशों से एमबीबीएस की शिक्षा ले रहे थे, उनको कोरोना संक्रमण के चलते इंटर्नशिप अधूरी छोड़ लौटना पड़ा। सांसद ने बताया ऐसे परीक्षार्थी संबंधित परीक्षा पास भी कर चुके और संबंधित देशों की एनओसी भी मिल गई, लेकिन राज्य सरकार उनको प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दे रही है, जबकि दूसरे राज्य अनुमति दे रहे है। सांसद ने बताया कि मंत्री ने आश्वस्त किया कि वे राज्य सरकार से चर्चा कर इसका समाधान निकालेंगे।
विवि ने दायर की हाईकोर्ट में केविएट

जयपुर। आवंटित सीटों से अधिक प्रवेश और परीक्षा फॉर्म भरवाने वाले कॉलेज के खिलाफ जुर्माने के फैसले को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने और मजबूत बना दिया है। विवि ने हाईकोर्ट में केविएट दाखिल की है। जिससे इस निर्णय के विरुद्ध दायर होने वाले किसी बी न्यायिक वाद मेंअंतरिम निर्णय/स्थगन से पूर्व विश्वविद्यालय का पक्ष भी अनिवार्य रूप से सुना जाएगा।
24 जुलाई को हुई एकेडेमिक कौंसिल की 66वीं बैठक में विश्वविद्यालय ने कॉलेज पर आवंटित सीट से ज्यादा सीट पर प्रवेश और फार्म भरवाए जाने पर 15 हजार रुपए प्रति विद्यार्थी के जुर्माने का प्रावधान किया है। यह जुर्माना भी कॉलेज प्रबंधन को वहन करन होगा। फैसले को लेकर कॉलेज संचालकों में खलबली मची हुई है।
केविएट लगाई

विवि ने फैसले को मजबूती प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट में केविएट दायर की है। ताकि कॉलेजों के अदालत में याचिका लगाने पर इकतरफा फैसला नहीं हो। केविएट लगाने पर अदालत याचिकाकर्ता का पक्ष भी सुनती है। उसके बाद संबंधित याचिका का निस्तारण करती है।
दत्ता, भटनागर बने निदेशक
विश्वविद्यालय प्रशासन ने निवर्तमान परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुब्रतो दत्ता को शोध विभाग का निदेशक बनाया है। जबकि शोध विभाग के निवर्तमान निदेशक प्रो. आशीष भटनागर को मानव संसाधन विकास केंद्र का निदेशक बनाया गया है।

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