ग्रामीण भारत के एक चौथाई से अधिक घरों में अब भी शौचालय नहीं : एनएसओ
जयपुरPublished: Nov 26, 2019 01:49:42 am
रिपोर्ट: सरकार के दावे पर उठे सवाल, 2 अक्टूबर को ग्रामीण भारत ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया था
ग्रामीण भारत के एक चौथाई से अधिक घरों में अब भी शौचालय नहीं : एनएसओ
नई दिल्ली. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के हालिया सर्वे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत योजना के तहत खुले में शौच से मुक्ति संबंधी आंकड़ों पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
पीएम ने 2 अक्टूबर को गुजरात में एक समारोह में कहा था कि ग्रामीण भारत ने खुद को ‘खुले में शौच से मुक्तÓ घोषित किया है। यह स्वच्छ भारत मिशन की सफलता की ताकत और प्रमाण है। इस पहल के लिए हमें सम्मानित भी किया जा रहा है, लेकिन एनएसओ की रिपोर्ट कुछ और ही बयां कर रही है। इसके मुताबिक देशभर के गांवों में एक चौथाई से अधिक घरों में अब भी शौचालय नहीं है। 2018 के दौरान लगभग 71.3 फीसदी ग्रामीण घरों और 96.2 फीसदी शहरी घरों में शौचालय है। सर्वे पेयजल, स्वच्छता और आवास की स्थिति पर पिछले साल जुलाई और दिसंबर के बीच किया गया था। 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के बाद इस साल 2 अक्टूबर को ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य था। इसके साथ ही सभी ग्रामीण घरों में शौचालय की सुविधा प्रदान करना भी था।
सरकार, एनएसओ के आंकड़ों में अंतर
त त्कालीन पेयजल और स्वच्छता राज्यमंत्री रमेश चंदप्पा जिगजिनागी द्वारा पिछले साल 24 दिसंबर को राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण उत्तर प्रदेश में 100 प्रतिशत घरों में शौचालय थे। गुजरात जैसे राज्य में खुले में शौच प्रचलित था, जिसे पिछले साल फरवरी में इससे मुक् त घोषित कर दिया गया। गुजरात में 2018 के दौरान 14 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं थे। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश और ओडिशा के आधे ग्रामीण घरों में शौचालय नहीं थे।
17.4त्न को सरकारी योजनाओं का लाभ
स्व च्छ भारत मिशन शुरू करने के बावजूद केवल 17.4 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने पिछले तीन वर्षों में स्वच्छता सुविधाओं के निर्माण के लिए सरकारी योजनाओं से लाभ मिलने की बात कही है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को स्वच्छता से संबंधित सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है।
कंप्यूटर तक गांवों की पहुंच कमजोर
श हरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कंप्यूटर और इंटरनेट की पहुंच कम है। सर्वे के अनुसार लगभग 4.4 फीसदी ग्रामीण और 23.4 फीसदी शहरी परिवारों के पास एक कंप्यूटर था, जबकि 14.9 फीसदी ग्रामीण और 42 फीसदी शहरी परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा थी। एनएसओ द्वारा किए गए ‘घरेलू सामाजिक उपभोग व शिक्षाÓ पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 5 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में 9.9 फीसदी ही कंप्यूटर चलाने में सक्षम थे।
2012 के मुकाबले हुआ सुधार
ए नएसओ द्वारा जुलाई और दिसंबर 2012 के बीच किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 40.6 प्रतिशत ग्रामीण और 91.2 प्रतिशत शहरी घरों में शौचालय थे। इस हिसाब से देखा जाए तो 2018 के सर्वेक्षण में काफी सुधार हुआ है।
वेतनभोगी महिला कर्मियों की संख्या बढ़ी
एन एसओ के सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल शहरी कार्यबल में नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों की हिस्सेदारी अप्रैल-जून 2018 और जनवरी-मार्च 2019 के बीच 48.3 से बढ़कर 50 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में मामूली तेजी आई। शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछली चार तिमाही में महिला कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि हुई है, जो संगठित क्षेत्र के श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करती है।