Story of Hounsley and passion, this man has run 18 marathons
जयपुर यह खबर हौंसले और जज्बे से जुड़ी हैं। जो आपको भी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी। कहते है कि समस्याएं आपको डराती जरुर है लेकिन उनका डटकर मुकाबला किया जाए तो वह भाग जाती हैं। ऐसी ही कहानी है अब तक एक पैर से 18 मैराथन दौड़ चुके नवाब खान की। नवाब बचपन में ही किसी हादसे में अपना एक पैर गंवा चुके है वहीं जिस पांव से वह दौड़ लगाते है वह भी उसी हादसे में टूट गया था। लेकिन चिकित्सकों ने उस पांव को काम में लेने लायक बना दिया। इसके बाद भी नवाब खान का हौंसला नहीं टूटा और उसके बाद वह 18 मैराथन में एक पैर पर दौड़ लगा चुके हैं। एक हाथ में वैशाखी के सहारे वह दौड़ लगाते है जिन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता हैं। सबने कहा बस जिंदगी जी दौड़भाग मत कर शाहपुरा के रहने वाले नवाब खान ने बताया कि वह पांच किलोमीटर और दस किलोमीटर की मैराथन दौड़ते हैं। जब नवाब ने दौड़ना शुरू किया तो आसपास के लोगों ने कहा कि तेरा एक्सीडेंट हो चुका है अब ज्यादा भाग दौड़ मत कर। बस अब अपनी जिंदगी जीओ। लेकिन नवाब ने उनकी एक नहीं सुनी।यह दिव्यांग धावक कहता है कि कमजोरी शरीर में नहीं होती बस दिमाग में होती हैं। इसके बाद धावक ने किसी की एक नहीं सुनी और एक के बाद एक मुकाम हासिल किया। काम से दिया जवाब जब लोगों को लगा कि यह दौड़ने लगा है तो वह भी अब तारीफ करने लगे हैं। क्योकि जब वह मेरा हौंसला तोड़ रहे थे तो मैने सोचा था कि मैं अब इनको बातों से नहीं बल्कि मेरे काम से जवाब दूंगा। अब भी मैं रुकना नहीं चाहता और लगातार एक के बाद एक नए मुकाम हासिल करुंगा। अब वहीं लोग जो मुझे कमजोर करना चाह रहे थे वह मेरे गले में मैडल और हाथ में ट्राफी देखकर मेरा हौंसला बढ़ाते हैं। परेशानी आती है लेकिन कुछ समय के लिए नवाब कहते है कि जब वह दौड़ते है तो उनके पांव में काफी दर्द होता हैं। शुरुआत में तो काफी दिक्कत आई। लेकिन वह सब सहन कर गया तो अब शरीर भी साथ देने लगा हैं। एक पांव नहीं होने से शरीर जल्दी थक जाता है लेकिन जितनी थकावट होती है उतना ही मन कहता है कि नवाब रुकना नहीं,दौड़ क्योकि तुझे और आगे जाना हैं।