श्वानों को गोद लेने वालों को सरकार देगी सुविधाएं
भूटान सरकार के इस फैसले पर काफी बहस हो रही है क्योंकि सरकार इस तकनीक को पालतू श्वानों पर भी लागू कर रही है। लाइवस्टॉक डिपार्टमेंट के मुख्य पशुचिकित्सक डॉ. कर्मा रिनझिन का कहना है कि इस फैसले से श्वान मालिकों की जवाबदेही भी बढ़ेगी। इसके पीछे मुख्य लक्ष्य आवारा श्वानों के जन्म पर रोक लगाना और स्ट्रीट डॉग्स को गोद लेने को बढ़ावा देना है। भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने भी कहा था कि बढ़ती श्वानों की संख्या एक व्यापक समस्या बनती जा रही है।
कर्मचारियों की कमी भी कारण
भू टान में चीफ वेटरनरी ऑफिसर डॉ. कर्मा रिनझिन ने बताया कि पशु विभाग में कर्मचारियों की कमी और उनकी अस्थायी नौकरी भी इसका एक बड़ा कारण है। दरअसल जो पुराने कर्मचारी हैं, वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं और नए कर्मचारियों को दैनिक भुगतान किया जाता है। प्रधानमंत्री शेरिंग ने भी कहा है कि श्वानों की बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए हमें सामाजिक संस्थानों और गैरसरकारी संस्थानों के सहयोग की जरूरत है।
भा रत में स्ट्रीट डॉग्स की सुरक्षा के लिए वर्ष 2001 में एक कानून भी लाया गया था। इसके तहत स्ट्रीट डॉग्स को मारना अवैध माना गया था। साथ ही स्ट्रीट डॉग्स को स्थानीय लोगों द्वारा भोजन उपलब्ध कराए जाने की अपील भी की थी। इसके बाद वर्ष 2014 में दिल्ली पुलिस ने एक अनूठी पहल की थी। दिल्ली पुलिस ने स्ट्रीट डॉग्स को चुनकर उन्हें ट्रेनिंग देकर अपनी सर्च डॉग टीम में शामिल करने का फैसला किया। भारत की ही तर्ज पर भूटान सरकार ने भी लोगों से अपील की है कि वे स्ट्रीट डॉग्स को गोद लें और उनका उपचार कराएं। साथ ही पशु जन्म नियंत्रण के लिए भी भूटान सरकार काम कर रही है।