एनएमसी ने 2020 में मेडिकल स्नातकों के लिए परीक्षा का मसौदा तैयार कर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 बनाया था। इसके संसद से पारित होने के बाद 2022 में इस पर आपत्तियां और सुझाव मांगे गए। सुझावों पर मंथन के बाद अब इसे लागू करने का फैसला किया गया है। नए प्रावधानों के मुताबिक नेक्स्ट परीक्षा दो चरणों में होगी। पहला चरण थ्योरी और दूसरा चरण क्लीनिकल, प्रेक्टिकल और मौखिक परीक्षा का होगा। दोनों चरणों के अंकों के आधार पर मेरिट तैयार की जाएगी। इस पहल से देश की मेडिकल शिक्षा प्रणाली में बड़ा परिवर्तन आएगा। फिलहाल मेडिकल की पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर बार-बार सवाल उठते रहते हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एडमिशन के लिए मोटी रकम वसूलने की शिकायतें आती रहती हैं।
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10 साल तक बार-बार दी जा सकेगी परीक्षा… नेक्स्ट परीक्षा एमबीबीएस के बाद 10 साल तक बार-बार दी जा सकती है। साल में एक बार रेगुलर और पूरक परीक्षा होगी। अगर रेगुलर परीक्षा में कोई विद्यार्थी फेल होता है या कम नंबर आते हैं तो वह उसी साल होने वाली पूरक परीक्षा का हिस्सा बन सकता है। यानी एक साल में दो बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा। सौ अंक की इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए कम से कम 50 अंक लाना अनिवार्य है। पूरक परीक्षा में वही विद्यार्थी बैठ सकेगा, जो छह पेपर में से एक या अधिक में अनुत्तीर्ण हुआ हो या कम अंक आए हों।
प्रथम वर्ष में चार बार फेल होने पर मौका… एक अन्य फैसले के तहत एनएमसी ने कोरोना के दौरान 2019-20 में मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स को प्रथम वर्ष चार बार में भी उत्तीर्ण नहीं करने पर पांचवां मौका दिया है। यह इसी सत्र के लिए होगा। इसे भविष्य में लागू नहीं माना जाएगा।
नेक्स्ट की मेरिट से पीजी में दाखिला
नेक्स्ट उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं को मेरिट के आधार पर ही मेडिकल कालेजों, चिकित्सा विवि व संस्थानों में पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) यानी एमडी/एमएस में प्रवेश दिया जाएगा।
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नेक्स्ट में उत्तीर्ण होने पर ही एनएमसी में पंजीकरण हो पाएगा। विदेश से एमबीबीएस या मेडिकल की पढ़ाई करने वाले देश में निजी प्रेक्टिस के लिए पंजीकरण कराना चाहते हैं तो उन्हें भी नेक्स्ट देना अनिवार्य होगा। ऐसे विद्यार्थियों को एफएमजीई परीक्षा देनी पड़ती है, जबकि पीजी मेडिकल पाठ्यक्रम में एडमिशन के लिए नीट-पीजी परीक्षा देनी होती है।