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विश्वविद्यालय में ही जंचेंगी अब विद्यार्थियों की कॉपियां

locationजयपुरPublished: Oct 12, 2019 04:44:35 pm

Submitted by:

manoj sharma

मदस विश्वविद्यालय : पूरक परीक्षा की कॉपियों से होगी केन्द्रीयकृत मूल्यांकन की शुरुआत

विश्वविद्यालय में ही जंचेंगी अब विद्यार्थियों की कॉपियां

विश्वविद्यालय में ही जंचेंगी अब विद्यार्थियों की कॉपियां

अजमेर. विद्यार्थियों की कॉपियों के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अब केंद्रीयकृत मूल्यांकन की शुरुआत करेगा। परिसर में ही शिक्षकों को बुलाकर कॉपियां जंचवाई जाएंगी। पूरक परीक्षाओं की कॉपियां जांचकर प्रयोग किया जाएगा। इसके बाद 2020 की सालाना परीक्षाओं में इसे अपनाया जाएगा।
विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष सालाना और पूरक परीक्षाएं कराता है। इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों के 3.50 लाख से ज्यादा विद्यार्थी बैठते हैं। अजमेर, नागौर, टोंक और भीलवाड़ा में 125 से ज्यादा परीक्षा केंद्र हैं। परीक्षा के बाद कॉपियों के सीलबंद बंडल विश्वविद्यालय पहुंचाए जाते हैं। यहां से गोपनीय-परीक्षा विभाग इन्हें परीक्षकों को जांचने भेजते हैं। परीक्षक जांच के बाद कॉपियां और गोपनीय लिफाफे में अवार्ड लिस्ट भेजते हैं। यह प्रक्रिया वक्त खराब करने वाली है। इससे परिणाम जारी करने में भी विलम्ब होता है।
कराएंगे केंद्रीयकृत मूल्यांकन
कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह नतीजों में देरी और खर्चीली मूल्यांकन प्रणाली के पक्षधर नहीं हैं। उन्होंने साल 2019 में हुई पूरक परीक्षाओं की कॉपियों के केंद्रीयकृत मूल्यांकन की योजना बनाई है। परिसर में ही सेवारत और सेवानिवृत्त शिक्षकों को बुलाकर कॉपियां जंचवाना प्रस्तावित है। इससे परिणाम तुरंत जारी हो सकेंगे। 2020 की सालाना परीक्षाओं में भी लाखों कॉपियां परिसर में ही जंचवाई जाएंगी।
यह होंगे फायदे

– विश्वविद्यालय का शिक्षकों तक कॉपियां भेजने का बचेगा खर्चा
– कॉपियों की गोपनीयता रहेगी बरकरार

– समय पर जारी हो सकेंगे विद्यार्थियों के नतीजे
– पुनर्मूल्यांकन परिणाम भी निकलेंगे समय पर
फैक्ट फाइल
मदस विश्वविद्यालय की स्थापना : 1987

सम्बद्ध कॉलेज : 275
कॉलेज में पंजीकृत विद्यार्थी : 3.50 लाख

कैंपस में अध्ययनरत विद्यार्थी : 800

इनका कहना है…
परिणाम में विलम्ब और कॉपियां भेजने-मंगवाने जैसी परेशानियां बनी रहती हैं। केंद्रीयकृत मूल्यांकन इसका बेहतर विकल्प है। हम जल्द इसकी शुरुआत करने जा रहे हैं। परिसर में ही कॉपियां विश्वविद्यालय की निगरानी में जंचेंगी। यह विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए भी फायदेमंद रहेगा।
प्रो. आर. पी. सिंह, कुलपति, मदस विश्वविद्यालय

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