scriptछात्रनेताओं के चेहरे बदले लेकिन मुदृदें नहीं,आज भी विद्यार्थियों की वहीं समस्याएं बरकरार | Students' faces change, but do not mind, students still have the same | Patrika News

छात्रनेताओं के चेहरे बदले लेकिन मुदृदें नहीं,आज भी विद्यार्थियों की वहीं समस्याएं बरकरार

locationजयपुरPublished: Jul 04, 2018 11:22:02 am

Submitted by:

HIMANSHU SHARMA

पहली सीढ़ी से शुरू हो जाती है वादाखिलाफी

new admission

इस विषय की तरफ बढ़ा विद्यार्थियों का रूझान, दो गुना अधिक आए आवेदन

राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया जारी है और इसी का फायदा उठाते हुए अब छात्रनेता भी सक्रिय हो छात्रसंघ चुनाव की तैयारियों में लग गए है। छात्र नेता वोटरों की नब्ज टटोलने में लगे हैं। इसी को लेकर छात्र नेताओं ने भागदौड़ शुरू कर दी है।वहीं प्रवेश सहायता शिविर लगा कर भी छात्र संगठन वोटर्स में अपनी पैट मजबूत करने में लग रहे है। लेकिन विद्यार्थी भी अब इन छात्रनेताओं की नब्ज का पहचान चुके है। विद्यार्थियों का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव पूरे हुए नहीं कि जीते हुए पदाधिकारी जिस घोषणा पत्र को लेकर चुनाव लड़ते है उन्हें ही भूल जाते है। घोषणा पत्र तो दूर की बात है बल्कि धरने प्रदर्शन में विद्यार्थियों के मुदद्दों को पूरा करवाने के लिए विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्रसंघ के पदाधिकारी शामिल नहीं होते हैं। छात्रसंघ चुनाव से पहले प्रत्याशी घोषणा पत्र जारी करके वोट देने की अपील करते है लेकिन चुनाव होते ही कैंपस से गायब हो जाते हैं। पिछले कुछ सालों से वहीं समस्याएं आज भी बरकरार है। वहीं इस साल दावेदारी जता रहे छात्रनेता उन्हीं मुदृदों को लेकर फिर से चुनाव मैदान में है। जिससे इस बार भी सिर्फ छात्रनेताओं के चेहरे बदले है लेकिन मुदृदें नहीं।
पहली सीढ़ी से शुरू हो जाती है वादाखिलाफी
साल भर छात्रसंघ पदाधिकारियों की निष्क्रयता के कारण करीब 25 हजार छात्र साल भर परीक्षा फॉर्म भरने से लेकर, प्रवेश पत्रों, परिणाम में गड़बड़ी, मार्कशीट, माइग्रेसन निकलवाने, छात्रवृति लेने सहित अन्य काम करवाने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर लगाने के साथ घंटों लाइन में लगर धूप में खड़े रहे। इसके बाद भी छात्रसंघ ने कुलपति और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों को इससे अवगत तक नहीं करवाया। यही नहीं इसके साथ ही सालभर में हुए अलग अलग मांगों को लेकर किए गए प्रदर्शन में सीट पर बैठे पदाधिकारी विद्यार्थियेां के साथ मांग को उठाने के लिए प्रदर्शन तक में शामिल नहीं हुए।
अपनी मांग ही नहीं उठा पाए
छात्रों की समस्यां उठाना तो दूर वें खुद की मांग ही विश्वविद्यालय के सामने नहीं रख पाए। चुनाव से पहले सभी छात्रसंघ पदाधिकारियों ने छात्रसंघ को सिंडीकेट में प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा रखा था। चुनाव जीतने के बाद खुद के सिंडीकेट में प्रतिनिधित्व लेने का मुद्दा उठाना तो दूर उसके लिए एक बार भी प्रयास तक नहीं किया।
प्रेसीडेट डिबेट होनी चाहिए। हर बार मुदृदा उठाते है लेकिन विश्वविद्यालय मांग पूरा नहीं करता। अब छात्र अपने चुने जाने वाले प्रतिनिधि को सुनना चाहता है।
आदित्य प्रताप, छात्रनेता

पांच साल से देख रहा हूं बस नेताओं के चेहरे बदल रहे है लेकिन घोषणा पत्र में वहीं मुदृदें लेकर हर बार वोटर्स से नेता वोट मांग रहे है।
सज्जन सैनी,छात्र
हमारी मांग ई रिक्शा चलाना,ओवरब्रिज बनाना, लाइब्रेरी चालू करवाना,छात्राओं की सुरक्षा प्राथमिक मुदृदें रहेंगे।
विनोद जाखड़, छात्रनेता
विश्वविद्यालय सिंडिकेट में छात्रसंघ पदाधिकारी नहीं है जिससे मुदृदें पूरे नहीं हो पाते है।
अमित कुमार,छात्रनेता
पीने का पानी,ई रिक्शा,सुरक्षा, नियमित कक्षाओं सहित कई मुदृदें पूरे करवाने को लेकर अपनी दावेदारी जता रहा हूं।
महेश सामोता,छात्रनेता
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो