scriptये कैसी शिक्षा! भविष्य बनाने खतरनाक रास्तों से गुजरते हैं बच्चे, इतने मजबूर पर किसी ने नहीं ली सुध… | students go school to jump the cemetery wall in bharatpur | Patrika News

ये कैसी शिक्षा! भविष्य बनाने खतरनाक रास्तों से गुजरते हैं बच्चे, इतने मजबूर पर किसी ने नहीं ली सुध…

locationजयपुरPublished: Oct 09, 2017 08:39:26 pm

भरपुर स्थित विडगवां गांव के बच्चों के लिए शिक्षा पाना इतना आसान काम नहीं है। उन्हें इसके लिए हर रोज अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है।

school students
एक तरफ तो सरकार बच्चों की स्कूली शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे करती दिखाई देती है, ताकि ये बच्चे भविष्य की बाधाओं को दूर कर राज्य के साथ-साथ देश का नाम रोशन करें तो वहीं हकीकत पर नजर डालें तो स्थिती इसके उलट दिखाई पड़ती है। आज दुनिया इतना आगे बढ़ चुकी है, जहां घर बैठे लोग विदेशी शिक्षा हासिल कर लेते हैं, तो भरपुर स्थित विडगवां गांव के बच्चों के लिए शिक्षा पाना इतना आसान काम नहीं है। उन्हें इसके लिए हर रोज अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है। आपको सुनकर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है। इतना ही नहीं इन मासूमों को लेकर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और असंवेदशीलता के कारण इन्हें ये सुविधाएं भी नहीं मिल पाती है।
इस हालात में भी बच्चे जाते हैं स्कूल…

दरअसल, पूरा मामला शहर के विडगवां गांव की है। यहां स्थित विडगवां के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की हालत ऐसी है कि इसका भुगतान बच्चों को करना पड़ता है। बता दें कि यहां स्कूली बच्चों के आने-जाने के लिए रास्ता नहीं होने के कारण उन्हें स्कूल जाने काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मजबूरन स्कूली बच्चों को श्मशान या फिर गांव के लोगों के घरों की दीवारों को फांदकर विद्यालय जाना पड़ता है। तो वहीं छोटे बच्चों के लिए इस तरह से स्कूल जाकर शिक्षा पाना किसी खतरे से कम नहीं है। उनके परिजनों को इस बात को लेकर हमेशा डर बना रहता है।
प्रशासन को मामले की है खबर…

ऐसा नहीं की इस बात की खबर स्थानीय प्रशासन को नहीं है, वो इस मामले से पूरी तरह से वाकिफ है, बावजूद इसके विद्यालय तक जाने के लिए रास्ता निर्माण को लेकर किसी ने अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है। जिस कारण इन नवनिहालों का भविष्य श्मशान के रास्ते से जाने को विवश हैं। ऐसे इन नवनिहालों को खतरों का सामना कर जिंदगी का पाठ पढ़ना पड़ता है। जो अपने आप में चौंका देने वाला लगता है।
पोखर के रास्ते जाते थे बच्चे…

इस मामले पर विद्यालय के प्रिंसिपल तेजबिंद सिंह ने बताया कि स्कूल पहुंचने का एक मात्र रास्ता पोखर से होकर गुजरता है, जो कि बारिश के कारण बंद हो जाता है। इसके बाद स्कूली बच्चों और यहां कार्यरत स्टाफ को श्मशान या फिर गांव के लोगों के घरों की दीवारों को मजबूरन फांदकर विद्यालय जाना पड़ता है। जो कि काफी खतरनाक है। उनका कहना कि दो साल पहले पीडब्ल्यूडी की ओर से पोखर के एक तरफ रास्ता बनाया गया था। जहां से होकर स्कूली बच्चे जा सकें, लेकिन फिर बाद में जल भराव के कारण ये रास्ता बंद हो गया। और फिर ये समस्या फिर से शुरु हो गई। जिसे लेकर सभी परेशान हैं।
अधिकारी कर रहे नजरअंदाज…

सीधा रास्ता नहीं होने से बच्चे और स्टाफ श्मशान और दूसरे खतरनाक रास्ते से होकर स्कूल जाने को विवश हैं। इतना ही नहीं स्कूल तक पहुंचने के लिए अधिकारी भी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। और इस हालात को देखने के बावजूद इसे नजरअंदाज कर वापस चले जाते हैं। तो उधर विधुत कनेक्शन की कार्यवाई पूरी होने के बावजूद भी अभी तक इस मामले पर कुछ भी नहीं हो पाया है। जबकि स्कूल की ओर से डिमांड नोटिस भरा जा चुका है।

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