सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर होंगे लागू
वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के औसत के आधार पर अंक दिए जा सकते हैं। स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में अर्जित अंकों के आधार पर और 5फीसदी बोनस अंक देकर प्रमोट किया जा सकता है, जबकि अंतिम वर्ष,टर्मिनल सेमेस्टर के परिसर, संघटक महाविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में नियमित, स्वयंपाठी सभी वर्गों के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए निर्धारित की गई व्यवस्था से विभाग को अवगत कराएं। इसके अलावा स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध के विद्यार्थियों को लघु शोध प्रबंध या असाइनमेंट देकर अंक आवंटित किए जा सकते हैं।
इसके बाद भी यदि कोई विद्यार्थी उपयुक्त निर्धारित प्रणाली से प्राप्त अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो उसे स्थिति सामान्य होने पर आगामी परीक्षा में अंक सुधार के लिए अवसर दिया जा सकता है। वहीं विधि संकाय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों की पालना की जानी है, जबकि 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्सेज में परिस्थितियां अनुकूल होने पर परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी। राज्य सरकार की ओर से दिए गए ये सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर लागू होंगे।
वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के औसत के आधार पर अंक दिए जा सकते हैं। स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में अर्जित अंकों के आधार पर और 5फीसदी बोनस अंक देकर प्रमोट किया जा सकता है, जबकि अंतिम वर्ष,टर्मिनल सेमेस्टर के परिसर, संघटक महाविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में नियमित, स्वयंपाठी सभी वर्गों के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए निर्धारित की गई व्यवस्था से विभाग को अवगत कराएं। इसके अलावा स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध के विद्यार्थियों को लघु शोध प्रबंध या असाइनमेंट देकर अंक आवंटित किए जा सकते हैं।
इसके बाद भी यदि कोई विद्यार्थी उपयुक्त निर्धारित प्रणाली से प्राप्त अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो उसे स्थिति सामान्य होने पर आगामी परीक्षा में अंक सुधार के लिए अवसर दिया जा सकता है। वहीं विधि संकाय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों की पालना की जानी है, जबकि 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्सेज में परिस्थितियां अनुकूल होने पर परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी। राज्य सरकार की ओर से दिए गए ये सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर लागू होंगे।