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12 जून 1999 की रात कारगिल घाटी पर बर्फिली हवाओं के बीच सूबेदार भंवरलाल के नेतृत्व में बहादुर जवानों ने दुश्मन पर हमला बोल दिया। इस दौरान भंवर लाल के हाथ में गोली लगने पर वह घायल भी हो गये और अन्य साथियों ने इलाज की जरुरत बताते हुए पीछे हटने के लिए भी कहा लेकिन बहादुर सूबेदार ने जवानों का हौंसला कम नहीं होने दिया और खून से लथपथ हाथ पर कपड़ा बांधकर दुश्मन पर टूट पड़े और तोलोलिंग पहाड़ी को घुसपैठियो से मुक्त करा लिया। इस दौरान कई घुसपैठिये मारे गये जबकि कई भाग निकले। भारतीय सेना तोलोलिंग पर कब्जा जमा चुकी थी कि एक घुसपैठिये की मशीन गन का निशाना सूबेदार भंवर लाल को लग गया और वह अंतिम सांस तक लड़ते देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गये। उनके अदम्य साहस एवं बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।