चीनी में घुली कड़वाहट
जयपुरPublished: Jan 21, 2016 01:54:00 pm
चीनी के भावों में पिछले कुछ महीनों से लगातार तेजी देखने को मिल रही है।
पिछले पांच माह में ही भावों में 33 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है।
शादी-विवाह का सीजन शुरू होना भी भावों में तेजी का कारण है।
चीनी के भावों में पिछले कुछ महीनों से लगातार तेजी देखने को मिल रही है। पिछले पांच माह में ही भावों में 33 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है। शादी-विवाह का सीजन शुरू होना भी भावों में तेजी का कारण है।
केंद्र सरकार ने चीनी पर 16 जनवरी से अतिरिक्त कर का प्रावधान लागू किया था। अब इसे बढ़ाकर 6 फरवरी तक कर दिया। ऐसे में स्टॉकिस्ट चीनी खरीदने में सक्रियता दिखा रहे हैं। महाराष्ट्र से उन्हें जितना माल मिल रहा है, उसका स्टॉक कर रहे हैं।
ऐसे में घरेलू बाजार में चीनी के भाव ऊंचे बोले जा रहे हैं। हर माह 150-200 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी देखी जा रही है। थोक व्यापारी विमल कुमार जैन ने बताया कि कोटा में सितम्बर 2015 में चीनी का थोक भाव 2450-2520 रुपए क्विंटल था, जो अब बढ़कर 3240-3280 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। खुदरा भाव 26-27 रुपए प्रति किलो था, जो जनवरी में बढ़कर 34-35 रुपए प्रति किलो हो गया। ऐसे में पांच माह में खुदरा भाव 8 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए।
हाड़ौती में हर माह 3000 टन खपत
व्यापारिक सूत्रों का मानना है कि महाराष्ट्र से हर माह हाड़ौती में तीन हजार टन चीनी आती है। इसमें से 50 फीसदी चीनी घरों में, 15 फीसदी चाय की दुकानों तथा 35 फीसदी चीनी की खपत मिष्ठान भण्डारों पर होती है।
ऐसे बढे़ भाव
माह थोक खुदरा
सितम्बर 2450-2520 26-28
अक्टूबर 2650-2710 28-30
नवम्बर 2870-2940 30-32
दिसम्बर 3050-3120 32-34
जनवरी 3240-3280 34-36
(स्रोत: खुदरा व थोक व्यापारी, थोक भाव रुपए प्रति क्विंटल में, खुदरा भाव रुपए प्रति किलो में।)
यूपी के किसानों का हो रहा गन्ने से मोहभंग
उत्तरप्रदेश सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाने से वहां के किसानों को गन्ने की फसल से मोहभंग होने लगा है। विगत दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने 116 चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए 35 रुपए प्रति क्विंटल के राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी, लेकिन गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी की सिफारिश पर सरकार ने किसानों का समर्थन मूल्य गत वर्ष की भांति 280 रुपए प्रति क्विंटल ही रखा।
कमेटी के अधिकारियों का मानना था कि गन्ने की उत्पादन लागत गत वर्ष के बराबर ही रहीं है। जबकि किसानों का कहना था कि इस साल सूखे के चलते गन्ने का उत्पादन प्रभावित हुआ है। ऐसे में उत्पादन लागत भी सवा गुना बढ़ी है।