जांचकर्ताओं में एक हिल्डे हेल्डन ने बताया कि अभी फौरी जांच की गई है, बाद में इन नमूने की पूरी जांच करेंगे। विकिरण का स्तर काफी ज्यादा है, लेकिन समुद्री जीवन को कोई बड़ा खतरा फिलहाल नहीं है। हेल्डन कहते हैं कि लेकिन इस विकिरण को रोका जाना जरूरी है, अन्यथा जलीय जीवों के लिए संकट पैदा हो जाएगा। वैज्ञानिक इसके दुष्प्रभाव को रोकने के प्रयास कर रहे हैं।
117 मीटर पनडुब्बी की लंबाई थी। पानी के ऊपर इसकी गति 26 किलोमीटर प्रति घंटा और पानी में 48 से 56 किमी/घंटा तक की रफ्तार थी।
1680 मीटर नीचे समुद्र तल में पड़ा है पनडुब्बी का मलबा। 1983 में रूस की नौसेना में शामिल हुई थी।
समुद्र के पानी में आमतौर पर विकिरण का स्तर 0.0001 बैकेरल (विकिरण का पैमाना) प्रति लीटर तक होता है। जबकि पनडुब्बी के आसपास इसकी मात्रा सामान्य से करीब आठ लाख गुना अधिक 800 बैकेरल प्रति लीटर मिला। इससे पहले 1990 और 2007 में वैज्ञानिकों को मामूली विकिरण का पता चला था। हादसे के वक्त परमाणु पनडुब्बी 39 दिन से पानी के अंदर थी।