जयपुर

30 साल पहले डूबी परमाणु पनडुब्बी सामान्य से 8 लाख गुना ज्यादा विकिरण छोड़ रही है

पनडुब्बी का मलबा नोर्वेजियन तट से 260 मील उत्तर-पश्चिम में बियर द्वीप के पास समुद्र में 1680 मीटर नीचे पड़ा है। इसी हफ्ते सोमवार को वैज्ञानिकों ने छोटी रिमोट नियंत्रित मिनी पनडुब्बी गो सार्स को भेजकर वेंटिलेशन पाइप के आसपास के पानी के नमूने लिए हैं।

जयपुरAug 03, 2019 / 01:32 pm

pushpesh

30 साल पहले डूबी परमाणु पनडुब्बी सामान्य से 8 लाख गुना ज्यादा विकिरण छोड़ रही है

नॉर्वे के तट पर तीस साल पहले डूबी रूसी पनडुब्बी कोम्सोमोलेट्स के-278 से बड़ी मात्रा में विकिरणों का रिसाव हो रहा है। रूस और नॉर्वे के वैज्ञानिकों ने हाल ही समुद्र के तल में पड़ी पनडुब्बी से विकिरणों के रिसाव का पता लगाया। 80 के दशक के उत्तराद्र्ध में टाइटेनियम से बनी कोम्सोमोलेट्स पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा से चलती थी, जिसमें परमाणु हथियारों से लैस दो टोरपीडो थे। परमाणु पनडुब्बी 7 अप्रेल 1989 को शॉर्ट सर्किट के बाद इंजन कक्ष में लगी आग के बाद डूब गई थी। हादसे में चालक दल के 69 में से 42 सदस्य मारे गए। ठंड के कारण हाइपोथर्मिया से इनकी मौत हुई थी।
पनडुब्बी का मलबा नोर्वेजियन तट से 260 मील उत्तर-पश्चिम में बियर द्वीप के पास समुद्र में 1680 मीटर नीचे पड़ा है। इसी हफ्ते सोमवार को वैज्ञानिकों ने छोटी रिमोट नियंत्रित मिनी पनडुब्बी गो सार्स को भेजकर वेंटिलेशन पाइप के आसपास के पानी के नमूने लिए हैं। नमूने के नतीजे चौंकाने वाले थे, पनडुब्बी के आसपास के पानी में सामान्य से आठ लाख गुना अधिक विकिरण का प्रभाव पाया गया। हालांकि दूर के हिस्सों में यह सामान्य से एक लाख गुना अधिक है।
फिलहाल कोई खतरा नहीं
जांचकर्ताओं में एक हिल्डे हेल्डन ने बताया कि अभी फौरी जांच की गई है, बाद में इन नमूने की पूरी जांच करेंगे। विकिरण का स्तर काफी ज्यादा है, लेकिन समुद्री जीवन को कोई बड़ा खतरा फिलहाल नहीं है। हेल्डन कहते हैं कि लेकिन इस विकिरण को रोका जाना जरूरी है, अन्यथा जलीय जीवों के लिए संकट पैदा हो जाएगा। वैज्ञानिक इसके दुष्प्रभाव को रोकने के प्रयास कर रहे हैं।
1983 में रूस की सेना में शामिल हुई थी
117 मीटर पनडुब्बी की लंबाई थी। पानी के ऊपर इसकी गति 26 किलोमीटर प्रति घंटा और पानी में 48 से 56 किमी/घंटा तक की रफ्तार थी।
1680 मीटर नीचे समुद्र तल में पड़ा है पनडुब्बी का मलबा। 1983 में रूस की नौसेना में शामिल हुई थी।
ये होता है विकिरण नापने का पैमाना
समुद्र के पानी में आमतौर पर विकिरण का स्तर 0.0001 बैकेरल (विकिरण का पैमाना) प्रति लीटर तक होता है। जबकि पनडुब्बी के आसपास इसकी मात्रा सामान्य से करीब आठ लाख गुना अधिक 800 बैकेरल प्रति लीटर मिला। इससे पहले 1990 और 2007 में वैज्ञानिकों को मामूली विकिरण का पता चला था। हादसे के वक्त परमाणु पनडुब्बी 39 दिन से पानी के अंदर थी।
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