कोर्ट ने राज्य सरकार के अक्टूबर 2020 के आदेश के तहत फीस जमा कराने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले की पालना पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही कहा कि अंतरिम आदेश से किसी भी पक्ष के हितों पर विपरीत प्रभाव नहीं होगा। सभी पक्षकारों से यह अण्डरटेंकिंग भी देने को कहा गया कि एसएलपी के निस्तारण के समय जो भी फैसला आएगा वह मानना होगा।
सुनवाई के दौरान निजी विद्यालय संचालकों की ओर से राज्य सरकार द्वारा फीस निर्धारित करने का विरोध किया गया। वहीं राज्य सरकार व अभिभावकों की ओर से कहा गया कि निजी स्कूलों के लिए सरकार द्वारा फीस तय करना उचित है। स्कूलों ने 2020-21 में फीस 150 प्रतिशत तक बढ़ा दी है।
कोर्ट ने अंतरिम तौर पर यह व्यवस्था दी है कि जिन अभिभावकों को स्कूल फीस भरने में फिलहाल दिक्कत हो, उनके बच्चों को पढ़ाई से वंचित नहीं किया जाए और उनको फीस भरने के लिए 6 माह का समय दिया जाए। फीस नहीं चुका पाने वाले छात्रों को बोर्ड परीक्षा की अनुमति देने और परीक्षा परिणाम नहीं रोकने को भी कहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में दाखिला लेने वालों की फीस को लेकर राज्य सरकार को निर्देश भी दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
अभिभावकों के लिए: जो अभिभावक अभी फीस जमा नहीं करा सकेंगे, वे 5 मार्च 2021 से 6 किश्तों में फीस जमा करा सकेंगे। स्कूलों के लिए: जो बच्चे अभी फीस नहीं दे पाएं, उनको 10वीं व 12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा से वंचित न किया जाए और परिणाम नहीं रोका जाए। ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला भी नहीं जाए।
अभिभावकों के लिए: जो अभिभावक अभी फीस जमा नहीं करा सकेंगे, वे 5 मार्च 2021 से 6 किश्तों में फीस जमा करा सकेंगे। स्कूलों के लिए: जो बच्चे अभी फीस नहीं दे पाएं, उनको 10वीं व 12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा से वंचित न किया जाए और परिणाम नहीं रोका जाए। ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला भी नहीं जाए।
सरकार के लिए: आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों की फीस का राज्य सरकार एक माह में भुगतान करे।